Tuesday 24 August 2021



इकिगाई


जापान में एक कहावत है कि ...
"
सौ वर्ष जीने की चाहत आप में तभी होगी जब आपका हर पल सक्रियता से भरा हो " |


इकिगाई ,जीवन जीने की एक ऐसी कला या शैली है जिसे अपनाकर सुदीर्घ और स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है |   जैसे-जैसे आप इन जानकारियों से रूबरू होंगे ये आपको बेहद जाना-पहचाना लगेगा | दरअसल इकिगाई  एक जापानी संकल्पना है जिसका सामान्यतः अर्थ है जीवन जीने की उद्देश्पूर्ण कला जिसमें आप खुद को ज्यादातर व्यस्त रखते हैं और उस सक्रियता से मिलने वाले आनंद और संतोष को जीते हुए उम्र का एक लम्बा सफ़र तय करते हैं | आप  पहले इसे अपनाते हैं फिर आदतों में ढाल लेते हैं |


जापान के लोग आमतौर पर बाकी देश के लोगों से ज्यादा जीते हैं | निश्चित ही इसमें उनके अच्छे भोजन ,ग्रीन टी और अच्छे मौसम का बड़ा योगदान है पर सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि इसके साथ जो एक महत्वपूर्ण वजह है वो है इकिगाई | दक्षिणी जापान में स्थित ओकिनावा प्रान्त में एक छोटा सा गाँव है ओगिमी जो दीर्घायु लोगों के  गाँव के तौर पर जाना जाता है | तीन हज़ार लोगों के  इस गाँव में विश्व के सबसे ज्यादा उम्रदराज़ लोग रहते हैं |विस्तार में जाने से पहले एक बात बता देना आवश्यक है कि जापान में रिटायरमेंट जैसा कोई शब्द अस्तित्व में नहीं है अर्थात वहां के लोग रिटायर होने की अवधारणा को कत्तई स्वीकार नहीं करते क्योंकि उन्हें अपने जीवन का उद्देश्यपूर्ण तरीके से जीना सर्वाधिक महत्वपूर्ण लगता है |सरकारी कार्यालयों में निश्चित ही एक तय उम्र होगी पर उसके बाद भी वे खाली नहीं बैठते , आराम की जिन्दगी नहीं जीते बल्कि एक और महत्वपूर्ण चरण के  तौर पर वे सामजिक सक्रियता को चुनते हैं और उसमें व्यस्त रहकर खुद को निरोगी व युवा बनाये रखने के साथ ही अपने सामाजिक ढांचें को भी  मजबूत और सकारात्मक बनाए रखने के  दायित्व का निर्वहन करते हैं |   एक सच और है जो शायद आपको चौंका दे कि दूसरे विश्व युद्ध के वक्त हुए हमले में इस गाँव के  २०० से ३०० लोग मारे गए थे परन्तु आश्चर्यजनक रूप से यहाँ के लोगों में उनके प्रति किसी भी किस्म की नकारात्मकता व नाराजगी नहीं है बल्कि वो तो उन्हें " इचारीबो चोडे " ( भाईचारे )के  आधार पर अपना बंधु ही मानते हैं अर्थात उनका मानना है कि गलतियाँ तो किसी से भी हो सकती हैं बस उन्हें माफ़ करने और सुधरने का ज़ज्बा चाहिए और फिर सब ठीक हो जाता है  |इसके साथ ही उनका सामजिक जीवन संघ भावना के तहत  एक-दूसरे के सुख-दुःख में समान रूप से भागीदारी के  साथ आगे बढ़ता है |वे सबसे प्यार से पेश आते हैं ...दोस्ताना अंदाज़ में जीना , हल्का भोजन ( 80 % से ज्यादा नहीं ) और सही मात्रा  में आराम व व्यायाम दोनों करते हैं |इकिगाई अपनाकर जीने से उनमें जो कुछ मुख्य बातें निकलकर सामने आईं वे हैं कि इससे न केवल वे लम्बा जीवन जीते हैं बल्कि उनमें कैंसर ,ह्रदयरोग,अल्जाइमर जैसी बीमारियां भी तुलनात्मक रूप से बहुत कम होती हैं

पूरी दुनिया में दीर्घायु लोगों के पांच टापू चुने गए हैं जिनमे पहले नंबर पर है ओकिनावा ( जापान का दक्षिणी इलाका ,जिसके बारे में हमने अभी पढ़ा ) |दूसरा है सार्डिनीया ,इटली जहाँ के  लोग भारी मात्रा में सब्जियां खाते हैं | इन्होनें भी अपनी लम्बी उम्र का राज़ सामाजिक मेलजोल की भावना को दिया है  | इसके बाद क्रमशः लोमा लिंडा ,कैलीफिर्निया ,द निकोया पेनिनसुला ,कोस्टा  रिका  और पांचवें नंबर पर है इकारिया ग्रीस ,टर्की जहाँ हर तीन में से एक व्यक्ति 90 साल से ऊपर जीता है | इन सबके अध्ययन से ये निष्कर्ष निकला कि इनके दीर्घायु व खुशहाल जीवन का राज़ इनकी खाद्य संस्कृति ,व्यायाम ,सामाजिक जुड़ाव व इकिगाई अर्थात अपने जीवन के  उद्देश्यों को जानना और अपनाना जैसी  बातों में छुपा है |ये सभी अपने समय का प्रबंधन ऐसे करते हैं जिसमें तनाव व् दुश्चिंता के लिए कोई जगह न हो या फिर कम से कम स्थान हो |वे मदिरा,मांसाहार व प्रसंस्कृत पदार्थों का सेवन न के बराबर करते हैं | तनावपूर्ण और कठिन व्यायामों की बजाय वे हलके और जरूरी व्यायामों को चुनते हैं और करते हैं |" हारा हाची बू " अर्थात वे 80 प्रतिशत ही अपना पेट भरते हैं |इसके साथ ही वे  " मोआई " अर्थात सामान उद्देश्यों के  लिए बने किसी न किसी  सामाजिक समूह से जुड़े होते हैं  जिसमें से अधिकांशतः के लिए इकिगाई समाज सेवा ही होती है | वे सामूहिक रूप से मिलकर काम करने ,खाने-पीने और नाच-गाने के साथ हंसी-ख़ुशी वक्त बिताने को सबसे महत्वपूर्ण मानते हैं |किसी भी मुश्किल में वे एक – दूसरे की मदद भी इसी तरह सामूहिक समूहों के ज़रिये करते हैं |एक स्वस्थ जीवन शैली का आवश्यक तत्व है नींद और आराम | विज्ञान ने भी यह साबित किया है कि युवा रहने के  लिए सबसे प्रभावी साधन है पर्याप्त नींद | इससे हमारे शरीर में मेलटोनीन हार्मोन्स तैयार होते हैं जो हमें लम्बे समय तक युवा रहने और दिखने में सहायक होते हैं अतः वे पर्याप्त नींद लेने को भी पूरी प्राथमिकता देते हैं |

"
मैं अभी तक मरा नहीं हूँ "

ये कहा है अलेक्जेंडर इमिच ने , जिनका जन्म १९०३ में पोलैंड में हुआ था और मृत्यु १११ वर्ष का होने पर २०१४ में | इनका कहना था कि जब तक मृत्यु नहीं होती तब तक आप जीवित हैं और यही आपको महसूस भी करना चाहिए |

इकिगाई में जिस एक बात का सबसे ज्यादा ध्यान रखा जाता है वो है " अपनी दोस्ती को रोज सींचें " और वहां पर सभी आपस में दोस्त होते हैं इसलिए उन सभी में एक किस्म कि गर्मजोशी व् सहकार की भावना हमेशा बनी रहती है |ओकिनावा जो कि दीर्घायु लोगों के पांच टापुओं में से पहले नंबर पर है , के लोग बाक़ी जापान की तुलना में एक तिहाई शक्कर खाते हैं और लगभग आधा नमक |

भारत से शुरू हुआ योग जापान ने पूरी निष्ठां और आदर के  साथ अपनाया और अपनी दिनचर्या में शामिल किया है जिसके अनोखे और अद्भुत परिणामों को देखते हुए अब ये वहां के लोगों के जीवन का अनिवार्य अंग बन गया है|

इससे ये निष्कर्ष निकलता हैं कि सही जीवन शैली , खान-पान का सही तरीका ,तनाव से दूरी ,अच्छी नींद,स्वस्थ व उल्लासमय सामाजिक जीवन ,पर्याप्त व्यायाम और आराम को अपनाकर हम खुद को एक लम्बे व सुंदर जीवन का तोहफा दे सकते हैं |


जैसा कि मैंने पहले कहा था कि इकिगाई के बारे में पढ़ते हुए आपको काफी कुछ जाना-पहचाना लगेगा तो अब ये साबित होता है कि जापान की इकिगाई और भारत की पुरातन योग आधारित जीवन शैली लगभग समान है ...अंतर है तो बस ये कि हम इनको अपनाने में देर कर देते हैं या एक किस्म का लापरवाही भरा उपेक्षित रवैय्या अपनाते हैं और वहां पर इसे बचपन से ही दैनिक कार्यों में शामिल किया जाता है |समानता व् भाईचारा दोनों ही जगह का प्रधान गुण है और दोनों ही देश वसुधैव कुटुंबकम के  सिद्धांतों को मानने वाले हैं  पर दुखद ये है कि जहाँ हम अपनी इतनी पुरातन और महान जीवन शैली से लगातार दूर होते जा रहे हैं वहीँ जापान अपनी जड़ों को कसकर थामे लगातार आगे बढ़ रहा है |