Wednesday 21 September 2011

चेतना

करुणा और स्नेह के
     तमाम  अहसासों  को
अपने अंदर समेटे
कितनी ही छोटी बूंदों से
  तुम निर्मित हुए हो समुद्र ......

पर उन्हें बिखेर नहीं सकते ;
सूखी बंजर धरती को
नमी नहीं दे सकते ..........

उसके सूखे ;दर्द से फटे सीने को
अपने करुण आंसुओं से
सींच नहीं सकते..........

सिर्फ देख सकते हो और
दुःख से द्रवित हो
बूंदों की संख्या मात्र
बढ़ा सकते हो ........

धरती के तमाम दुखों को
अपनी धडकनों के साथ
जोड़ लेते हो ,
इसीलिए तुम जीवित हो ,
पर साथ ही निष्क्रिय भी .........

क्योंकि तुममे चेतना नहीं है ,
अपने दायित्वों का बोध नहीं है .......

व्यर्थ नियमों को सिर झुका
मान लिया है तुमने .........

कब तुममे विद्रोह फूटेगा ;
कब तुम मुखर बनोगे ;
कब तुम अपनी ममता
धरती पर लुटाने
पवन के सामान
स्वतन्त्र हो निकल पड़ोगे ..........

अपनी नहीं ...
धरती की तो सोचो ...
सदियों से प्यासी
और पीड़ित है वो ......

तुम ही उसमे
स्पंदन जगा सकते हो ..........

     इसलिए
अब तो चेतो ..........
धरती को इंतजार है तुम्हारा ....

   जैसे ......इस बोझिल
और जड़ हो चुके समाज को
एक जागृत व्यक्तित्व का ......

जो हमें जगा सके
हममे चेतना फैला सके ..........!!!!!!!!!!


                              रीना !!!!!!!








Saturday 17 September 2011

प्यार तुम्हारा

वो प्यार तुम्हारा खुशबू सा
      स्पर्श तुम्हारा चन्दन सा ,
वो तैर रहा है अंतस में
       मेरी धड़कन और नस नस में .....

बरसों पहले वो जब तुमने
        इक बार नजर से छुआ था,
वो खुशबू तेरे चाहत की
          बेचनी उन अहसासों की.....


क्या याद तुम्हे भी आता है
         मंदिर का वो पावन कोना,
जिस जगह खड़े थे हम दोनों
         और एक हुए थे हम दोनों.......


मै खड़ी  हूँ अब भी उसी तरह 
          तुम चले गए .. लौटे ही नहीं,
 क्या  तुमको याद नहीं आती
            सिन्दूरी चेहरे की रंगत.....


क्या तुमने  उन अहसासों को
         और स्वयं मुझे भी भुला  दिया ,
या  फिर इतना चाहा ही नहीं
          की चाहत का हिस्सा बना सको........


इक बार अगर तुम लौट सको
          देखो मेरी इन आँखों में ,
सच कहती हूँ मेरे हमदम
            फिर वापस लौट न पाओगे.......


 ये प्यार हमारा खुशबू सा
         स्पर्श हमारा चन्दन सा ,
 ये बांधेगा तुमको मुझको
          इक अहसासों के गुलशन में............!!!!


                        रीना !!!!!!!!


Thursday 15 September 2011

सोचूँ तुमको







बारिश की गिरती बूँदें , और मिटटी की वो पहली खुशबू                                                                                                        जिस्म को बींधे लम्हा-लम्हा                                                                                                                                    आहों का सैलाब बहा दूं ..............



 हिज्र की लम्बी रातों में जब ,याद तुम्हारी आएगी ,
                   तब उस मिटटी को गूंध , सेंककर
                               चाहत का भगवान् बना दूं..............



 भीगे ख़त की चाँद पंक्तियाँ , जिनको पढ़कर सदियाँ बीतीं ,
                               उनमे अपने सपने जीकर 
                                           इस दिल का अरमान बना दूं.........



नदियाँ जब बलखाती आयें , खड़ी  मुहाने सोचूँ तुमको .
                             भीगी आँखों देखूं तुमको
                                      खुद अपना सम्मान बना दूं..............!!!!


                                   अर्चना राज


Wednesday 14 September 2011

हिंदी दिवस

दोस्तों !! सुन लो सभी ,आज है हिंदी दिवस ------------------------------------------ राष्ट्र की भाषा है ये ,राष्ट्र की आशा है ये , राष्ट्र का सम्मान है , गर्व और अभिमान है, अंग्रेजी में लिखते हैं , अंग्रेजी में पढ़ते है , इक पराई भाषा का ,क्यों इतना मान हम करते हैं , हिंदी ही अपनी माँ है ,इसका हम सम्मान करें , आओ ये संकल्प करें ,हिंदी में ही रंग भरें , हिंदी की ही हो रेखाएं ,हिंदी के ही शब्द भरें, हिंदी में ही सपने देखें ,हिंदी में ही पूर्ण करें , बस कुछ दिन की बात न हो ,अब बिगड़े हालात न हो, वर्ष भर चलता रहे,गर्व से कहते रहें, हम भी हिंदी भाषी हैं , हिंदी के अभिलाषी हैं, हिंदी को अपनाएंगे , भाषा का क़र्ज़ चुकायेंगे , इसका सम्मान बढ़ाएंगे,इसका परचम लहरायेंगे , ---------------------------------------------------- दोस्तों!!! सुन लो सभी ,आज है हिंदी दिवस , राष्ट्र का सम्मान है , गर्व और अभिमान है !!!!!!!!!!!!!!!!!!! रीना !!!!!!!!!!!!

Sunday 11 September 2011

इक चाह

जबसे तुमको चाहा मैंने
दिल मेरा कुछ बदल गया है ,
सारा कुछ मेरे अंदर का
लगता है बस ठहर गया है ....

              मेरी दुनिया बदल गयी है
                सपने मेरे बदल गए हैं ,
              जीवन की ये आपाधापी
               स्वर  और लय में सिमट गए हैं......


तेरी चाहत      मेरी चाहत
आपस में यूँ घुल से गए हैं,
तेरे आंसूं      मेरे आंसू
दरिया में ज्यूँ  बदल गए हैं.......


              आओ हम तुम कुछ सुख बाटें
               कुछ खुशियाँ और गम भी बाटें ,
                भूरी मटमैली सी मिटटी
               इनसे अपने तन को ढाकें


तेज हवा जब गान सुनाये 
तब मुझको बाहों में लेना ,
धीरे   से   कानों   में   मेरे
 प्यार है मुझसे इतना कहना .......


               इन्द्रधनुष के रंग चुराकर
               मेरे जीवन में भर देना ,
                सिन्दूरी चेहरे की रंगत ,
                मेरे चेहरे पे रंग देना.......


 बस इतना ही तुम कर देना
         मेरे संग थोडा जी लेना ...!!!!!!

                   रीना






Tuesday 6 September 2011

तुम आये थे रात

तुम आये थे रात मेरे ख्वाबों में ,
     तुम्हारी आँखों में                                                                                                                                कुछ   ठहरा ठहरा सा था ............
मैंने देखा   और जड़ हो गयी ,
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उस ख़ामोशी की इक बूँद
तुम्हारी आँखों से
मेरे दिल में उतर गयी ,
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तुम चुप थे.... पर तुम्हारी आवाज़
मेरे दिल को चीरती चली गयी ,
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हम दोनों इक दर्द की तरह कांपे
और रो दिए .........................

तुम्हे छूने ........ तुम्हे पाने
मै तेज कदमो से आगे बढ़ी ,

पर इक सर्द अहसास
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खुली आँखों से मैंने देखा
          तुम        नहीं        थे
कहीं भी  नहीं थे .........................

थककर  सूनी आँखें फिर मूँद लीं
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शायद तुम फिर एक बार
ख्वाब बनकर ही आ सको !!!!!!!!


                  रीना