बारिश की गिरती बूँदें , और मिटटी की वो पहली खुशबू जिस्म को बींधे लम्हा-लम्हा आहों का सैलाब बहा दूं ..............
हिज्र की लम्बी रातों में जब ,याद तुम्हारी आएगी ,
तब उस मिटटी को गूंध , सेंककर
चाहत का भगवान् बना दूं..............
भीगे ख़त की चाँद पंक्तियाँ , जिनको पढ़कर सदियाँ बीतीं ,
उनमे अपने सपने जीकर
इस दिल का अरमान बना दूं.........
नदियाँ जब बलखाती आयें , खड़ी मुहाने सोचूँ तुमको .
भीगी आँखों देखूं तुमको
खुद अपना सम्मान बना दूं..............!!!!
अर्चना राज
भीगे ख़त की चाँद पंक्तियाँ , जिनको पढ़कर सदियाँ बीतीं ,
ReplyDeleteउनमे अपने सपने जीकर
इस दिल का अरमान बना दूं.........
Waah behtreen peshkash.........dil ko chuti hui
भीगे ख़त की चाँद पंक्तियाँ ,
ReplyDeleteजिनको पढ़कर सदियाँ बीतीं ,
उनमे अपने सपने जीकर
इस दिल का अरमान बना दूं..
बेहतरीन अभिव्यक्ति रीना जी....
oh my god......behtreen...awsummm.....no words dear....dis is tooooo guddd....ek ek lafz bhege hue...payar ki shabnam se ..... behtreen..aage bhi aisi hi khubsurat rachnayain padhne ko milangi....umeed karti hun.....thanku
ReplyDeletebehad shukriya amrendra>>>>>>>>>>
ReplyDeletebahut bahut dhanywad gopal ji
ReplyDeletethanx gunjan ... u r so nice>>>>>>>>>>>..koshish jaroor karoongi>>>>
ReplyDeleteपहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ. आपकी ये रचना बहुत अच्छी लगी है .
ReplyDeleteपता नहीं यादो का बारिश के साथ क्या रिश्ता है ..
बधाई !!
आभार
विजय
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कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
shukriya vijay ji.....yaden apni barish se mann ko bhigoti hain , shayad yahi rishta ho....
ReplyDeletemai jaroor aur khushi se aapki rachna padhoongi...be in touch