Saturday, 17 September 2011

प्यार तुम्हारा

वो प्यार तुम्हारा खुशबू सा
      स्पर्श तुम्हारा चन्दन सा ,
वो तैर रहा है अंतस में
       मेरी धड़कन और नस नस में .....

बरसों पहले वो जब तुमने
        इक बार नजर से छुआ था,
वो खुशबू तेरे चाहत की
          बेचनी उन अहसासों की.....


क्या याद तुम्हे भी आता है
         मंदिर का वो पावन कोना,
जिस जगह खड़े थे हम दोनों
         और एक हुए थे हम दोनों.......


मै खड़ी  हूँ अब भी उसी तरह 
          तुम चले गए .. लौटे ही नहीं,
 क्या  तुमको याद नहीं आती
            सिन्दूरी चेहरे की रंगत.....


क्या तुमने  उन अहसासों को
         और स्वयं मुझे भी भुला  दिया ,
या  फिर इतना चाहा ही नहीं
          की चाहत का हिस्सा बना सको........


इक बार अगर तुम लौट सको
          देखो मेरी इन आँखों में ,
सच कहती हूँ मेरे हमदम
            फिर वापस लौट न पाओगे.......


 ये प्यार हमारा खुशबू सा
         स्पर्श हमारा चन्दन सा ,
 ये बांधेगा तुमको मुझको
          इक अहसासों के गुलशन में............!!!!


                        रीना !!!!!!!!


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