तुम कहीं अचानक मिल जाओ
मै भाव विभोर हो जाउंगी ,
तुम बात करोगे अंतराल की
मै गूंगी सी हो जाउंगी ..........
कुछ देर बाद जब तुम मुझसे
मेरे बारे में पूछोगे ,
सचमुच मै दर्द तन्हाइयों का
उस पल ही भूल जाउंगी.............
क्या पाऊँगी तुमको पाकर
मै यही सोचती रह जाउंगी.............
तुम चुप चुप मै गुमसुम सी
इक पल ऐसा भी आएगा ,
जब तुम होठों के कम्पन से
और मै आँखों से सारा दर्द कह जाउंगी............. !!!!!!!!!
रीना
बहुत सुन्दर रचना है रीना जी.....
ReplyDeleteअन्तर्मन की वेदना और प्रीत का सम्मिलित प्रदर्श्न है आपकी कविता मे... बधाई...
dhanywaad gopal ji.....correct analysis.
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