समंदर के आईने में
गहराता एक अक्स
समेट लेता है ; उन सारे आवेगों को
जो मेरे अंतस में है.......
अनायास ही तुम धड़कने लगते हो
इन तमाम हलचलों में ;
बार बार किनारे से टकराकर
लहरें .... जो मेरे दिल में जगाती हैं .....
छू लेते हो तुम
मेरे जज्बातों को,
,पर तुम्हारा अहसास
बिलकुल अनछुआ सा लगता है ;...
मै तो इक लहर हूँ
टकराकर लौट जाना ही मेरी नियति है,
किनारा बनकर भी तुम
क्यों नहीं मुझे अपने आगोश में समेट पाते...
समेट पाते जो मेरे हम्न्फ्ज़ कभी मुझको
तो फिर शायद ये भी समझ पाते
की किस तरह इस सारे जहाँ को
अहसासों की नमी से भिगोया जाता है .....
मेरे हम्न्फ्ज़ की किस तरह
इन अहसासों को जिया जाता है ....!!!!!
रीना!!!!
गहराता एक अक्स
समेट लेता है ; उन सारे आवेगों को
जो मेरे अंतस में है.......
अनायास ही तुम धड़कने लगते हो
इन तमाम हलचलों में ;
बार बार किनारे से टकराकर
लहरें .... जो मेरे दिल में जगाती हैं .....
छू लेते हो तुम
मेरे जज्बातों को,
,पर तुम्हारा अहसास
बिलकुल अनछुआ सा लगता है ;...
मै तो इक लहर हूँ
टकराकर लौट जाना ही मेरी नियति है,
किनारा बनकर भी तुम
क्यों नहीं मुझे अपने आगोश में समेट पाते...
समेट पाते जो मेरे हम्न्फ्ज़ कभी मुझको
तो फिर शायद ये भी समझ पाते
की किस तरह इस सारे जहाँ को
अहसासों की नमी से भिगोया जाता है .....
मेरे हम्न्फ्ज़ की किस तरह
इन अहसासों को जिया जाता है ....!!!!!
रीना!!!!
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