पूरे दिन की ख़ामोशी
सारी रात की तन्हाई
शून्य सा लगता अस्तित्व .....
जहन में घूमते रहते हैं
कुछ शब्द....अंधड़ से .....
जिनकी कोई पहचान नहीं ;
उन शब्दों का कोई अर्थ नहीं ;
कोई महत्व भी नहीं.......
ये तो बस विचरते हैं ..बेवजह
बिना किसी सिरे के ......
जो उनका कोई छोर पकड़ पाती
कोई नाम दे पाती ;
तब शायद उनका कोई अर्थ होता ;
महत्व होता.......
अभी तो बस एक शून्य है
जिसे ओंकार (ॐ ) में
परिवर्तित करना है ;
इसकी स्वर लहरी के साथ
जीना है ......सारी उम्र .....ख़ामोशी से .....!!!!!
रीना !!!!!
सारी रात की तन्हाई
शून्य सा लगता अस्तित्व .....
जहन में घूमते रहते हैं
कुछ शब्द....अंधड़ से .....
जिनकी कोई पहचान नहीं ;
उन शब्दों का कोई अर्थ नहीं ;
कोई महत्व भी नहीं.......
ये तो बस विचरते हैं ..बेवजह
बिना किसी सिरे के ......
जो उनका कोई छोर पकड़ पाती
कोई नाम दे पाती ;
तब शायद उनका कोई अर्थ होता ;
महत्व होता.......
अभी तो बस एक शून्य है
जिसे ओंकार (ॐ ) में
परिवर्तित करना है ;
इसकी स्वर लहरी के साथ
जीना है ......सारी उम्र .....ख़ामोशी से .....!!!!!
रीना !!!!!
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