तुम
मेरे मौन को
उसके शब्दों को
समझ सकते हो ;
या फिर बस यूँ ही
मुझे समझने की
बात कहते हो ,
बस कुछ कहने के लिए
यूँ ही कह देते हो ......
मेरे मौन की भाषा
मेरे उन शब्दों से बेहतर है ;
जो मै तुम्हें कभी कह नहीं सकती
जो मै तुम्हे कभी भी समझा नहीं सकती ....
अगर समझ सको तो समझ लो
वो , जो मैंने बस टूटकर चाहा;
पर फिर भी न जाने क्यों
मेरा अन्तःस्थल
रेत सा ही रहा
बिखरा बिखरा सा......
कुछ नमी की उम्मीद
जो थी उन अहसासों से ;
कभी मिल ही नहीं पाई ......
पर अब
इतने वर्षों बाद अचानक
बादल घिर आये हैं ;
घनघोर बारिश का भी अंदेशा है......
पर डरती हूँ
की कहीं खो न दूं
अपने साँसों की डोर ;
कहीं मिट न जाऊं
उन तमाम सपनो के
सच की तरह
जो इन बीते वर्षों में
हर तन्हाई में देखे मैंने .....
तुम चुप क्यों हो ;
कहो न ; बार बार कहो
की तुम समझ सकते हो
मेरे मौन को ;
उसकी पीड़ा को .....
तुम्हारे शब्द
तुम्हारी आँखों की नमी
रुई के नर्म फाहे सी
मेरे जख्मो को ठंडक पहुंचाएगी;
और मै जी जाउंगी
एक बार फिर से
तुम्हारे लिए मेरे हमदम
सिर्फ तुम्हारे लिए.....!!!!!
रीना !!!!!
मेरे मौन को
उसके शब्दों को
समझ सकते हो ;
या फिर बस यूँ ही
मुझे समझने की
बात कहते हो ,
बस कुछ कहने के लिए
यूँ ही कह देते हो ......
मेरे मौन की भाषा
मेरे उन शब्दों से बेहतर है ;
जो मै तुम्हें कभी कह नहीं सकती
जो मै तुम्हे कभी भी समझा नहीं सकती ....
अगर समझ सको तो समझ लो
वो , जो मैंने बस टूटकर चाहा;
पर फिर भी न जाने क्यों
मेरा अन्तःस्थल
रेत सा ही रहा
बिखरा बिखरा सा......
कुछ नमी की उम्मीद
जो थी उन अहसासों से ;
कभी मिल ही नहीं पाई ......
पर अब
इतने वर्षों बाद अचानक
बादल घिर आये हैं ;
घनघोर बारिश का भी अंदेशा है......
पर डरती हूँ
की कहीं खो न दूं
अपने साँसों की डोर ;
कहीं मिट न जाऊं
उन तमाम सपनो के
सच की तरह
जो इन बीते वर्षों में
हर तन्हाई में देखे मैंने .....
तुम चुप क्यों हो ;
कहो न ; बार बार कहो
की तुम समझ सकते हो
मेरे मौन को ;
उसकी पीड़ा को .....
तुम्हारे शब्द
तुम्हारी आँखों की नमी
रुई के नर्म फाहे सी
मेरे जख्मो को ठंडक पहुंचाएगी;
और मै जी जाउंगी
एक बार फिर से
तुम्हारे लिए मेरे हमदम
सिर्फ तुम्हारे लिए.....!!!!!
रीना !!!!!
तुम .....केवल तुम .....सिर्फ तुम .......हाँ बस तुम
ReplyDeletethanx awesh.....
ReplyDelete