सुबह-सुबह
 ये शोर कैसा ...एक तो मुश्किल से रविवार की एक दिन की छुट्टी तो उस पर भी 
कोई ढंग से सो नहीं सकता ..उफ़ ...बडबडाते हुए निशा ने खिडकी से बाहर झाँका
 ...अरे,ये क्या ....शर्मा जी के यहाँ इतनी भीड़ कैसी ....शर्मा जी निशा के
 पड़ोसी थे ...... पिछले कई सालों से दोनों आमने-सामने रहते थे और अच्छे 
पड़ोसी होने के साथ
 साथ अच्छे मित्र भी थे .....दिमाग में उमड़ते-घुमड़ते विचारों के साथ ही 
उसने जोर से अपने पति विबेक को आवाज़ दी .....सोने दो न यार ..क्या तुम भी 
सुबह--सुबह ...आज तो सन्डे है न ...आज भी तुम और कुनमुनाते हुए विवेक करवट 
बदलकर फिर से सोने लगा ....अरे उठो भी ..देखो न शर्मा जी के यहाँ कितनी 
भीड़ इकट्ठा है ..शायद पुलिस की गाडी भी आई है और एम्बुलेंस भी .....क्या 
...क्या कह रही हो ..चौंकते हुए विवेक एकदम से उठ
 बैठा ...हाँ देखो न ...और विवेक ने खिडकी से बाहर देखा ....अरे हाँ ..पर 
क्यों ...देखना पडेगा ..कहते हुए विवेक बाथरूम की ओर चल पडा ...चंद मिनटों 
में ही वो शर्मा जी के घर में था .....निशा भी बाहर निकल आई थी ...कॉलोनी 
की बाक़ी औरतें बच्चे लगभग सभी बाहर ही खड़े थे ...निशा ने उनसे पूछा पर 
किसी के पास स्पष्ट जवाब नहीं था ....सभी कयास लगा रहे थे  बस ...पता नहीं 
क्या हुआ होगा ....रीना ने बोला कि सुबह उसने
 रागिनी को यानि मिसेज़ शर्मा की चीख सुनी थी ..वंदना ने भी हाँ में हाँ 
मिलाया ...रेखा बोली ..वो तो पुलिस जीप के हूटर की आवाज़ से उठी ...पर 
दरअसल माजरा क्या है इसका संदेह बना ही रहा ....बातचीत विभिन्न विषयों पर 
होती रही पर मूल में ये घटना ही थी ...हर कोई किसी न किसी घटना का ज़िक्र 
कर रहां था ज़हां संदेहास्पद स्थिति में पुलिस आई हो ....तभी पुलिस वाले 
बाहर निकले और सिपाहियों ने एम्बुलेंस
 वालों से बात की ...एम्बुलेंस वाले अपना स्ट्रेचर लेकर अन्दर गए और थोड़ी 
ही देर में एक ढके हुए शरीर के साथ बाहर निकले ...स्पष्ट था कि वो कोई मृत 
व्यक्ति है पर कौन ...तभी पीछे से मिसेस  शर्मा की चीख गूंजी ...वो भागते 
हुए बाहर निकलीं ...लोगों ने पकड़ लिया वर्ना टकराकर गिर जातीं ...वो 
लगातार चीख चीख कर रो रही थीं ....मत ले जाओ ...मत ले जाओ मेरी बेटी को 
...क्यों ले जा रहे हो ..कहाँ ले जा रहे हो
 ...नीलू ..मत जाओ बेटा ...मम्मा को छोडकर मत जाओ ..मै कैसे रहूंगी ...कैसे
 जियूंगी ....नीलू ..मत जाओ बेटा ....नीलूऊऊऊऊऊ और मिसेस शर्मा बेहोश होकर 
गिर पड़ीं ..मिस्टर शर्मा भी बुरी तरह बिलख बिलख कर रो रहे थे ...उन्हें भी
 चुप कराना मुश्किल हो गया था बल्कि जो लोग चुप करने की कोशिश भी करते थे 
 वो खुद ही रो देते ...स्पष्ट था कि ये नीलू थी जिसके साथ इतना भयावह हादसा
 हुआ कि उसे ये दुनिया छोडकर ही जाना
 पडा .....ओह्ह्ह्ह ...माहौल बहुत ग़मगीन हो गया था ...कुछ औरतें मिसेस 
शर्मा के ऊपर पानी के छींटे डालकर उन्हें होश में लाने की कोशिश कर रही थीं
 ...तब तक खबर मिलने पर शर्मा जी के परिवार के लोग जो पास के शहर में ही 
रहते थे वो भी आ गए ..एक बार फिर दर्द का सैलाब उमड़ा और फिर धीरे-धीरे 
करके लोग अपने घरों की ओर लौटने लगे . .... अभी तक ये स्पष्ट नहीं हुआ था 
कि नीलू की मौत कैसे हुयी थी और क्यों ....कारण
 क्या था क्योंकि वो तो बहुत ही खुशमिजाज़ लड़की थी ...हर वक्त हंसने 
मुस्कुराने वाली ....पढाई के साथ साथ एक्स्ट्रा कैरिकुलर एक्टिविटीज में भी
 हमेशा बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेती थी ..दरअसल वो शर्मा दम्पति की इकलौती संतान
 थी इसलिए दोनों ने उसके व्यक्तिव निर्माण में पूरा ध्यान दिया था  ..उसकी 
हर ख्वाहिश पूरी की थी पर बिगड़ने नहीं दिया ...संस्कारी बच्ची थी 
....कॉलोनी वालों को भी उससे इतना
 लगाव हो गया था कि सभी की आँखें उसके जाने से नम थीं और सभी बेहद दुखी 
महसूस कर रहे थे खुद को ...
पर
 कारण क्या था इस दुर्घटना का ये भी रहस्य के घेरे में था ....लोग अपनी 
अपनी सोच के अनुसार कारण ढूँढने का प्रयास कर रहे थे पर सफल नहीं हुए 
क्योंकि सच्चाई तो किसी को भी पता नहीं थी न .....पर शाम होते-होते इसका 
खुलासा हो गया
 ...कारण जानते ही लोगों में गुस्से की लहर दौड़ पडी ...माहौल बहुत गर्म हो
 गया और लोग तुरंत इन्साफ किये जाने की मांग करने लगे  ....पुलिस वाले आये 
..उन्होंने कॉलोनी के वरिष्ठ लोगों से बात की ...शर्मा जी और उनकी पत्नी का
 भी बयान दर्ज किया जो अब भी गहरे सदमे में थीं और ये स्वीकार करने को 
बिलकुल तैयार नहीं थीं कि नीलू ..उनकी बेटी अब इस दुनिया में नहीं रही 
...वो बार बार कहतीं कि ऐसा नहीं हो
 सकता ..नीलू ऐसा नहीं कर सकती ..वो मेरी बहादुर बच्ची थी ...नीलू वापस आ 
जाओ बेटा ..हम जी नहीं पायेंगे ..शर्मा जी भी बिलख उठे ...यहाँ तक कि इस 
दुःख ने पुलिस वालों की अंतरात्मा को भी झकझोर दिया ...उन्होंने शर्मा जी 
को दिलासा दिया कि वो जल्दी ही उस बदमाश को सज़ा दिलाकर नीलू के साथ इन्साफ
 करेंगे .....धीरे-धीरे जो कहानी निकलकर सामने आई वो इस प्रकार थी ....करन 
नीलू के साथ उसके कॉलेज में ही पढता था
 ......स्मार्ट ..हैण्डसम ...प्रभावी व्यक्तित्व ....नीलू की तरह ही पढाई 
में अच्छा .....इसी वजह से उन दोनों कि दोस्ती हुयी और धीरे धीरे दोनों 
पहले best फ्रेंड बने और फिर एक दुसरे को पसंद करने लगे ...गुजरते वक्त के 
साथ जैसे जैसे प्रगाढ़ता बढती गयी नजदीकियां भी बढ़ने लगीं और अपेक्षा भी 
.....नीलू इनकार करती तो करण उतना ही जोर देता पर नीलू  कभी इस बात के लिए 
राजी नहीं हुयी ....शायद इसी वजह से करन ने
 कुछ ऐसा करने का सोचा जो ठीक नहीं था बल्कि अशोभनीय व् आपराधिक भी था 
.....एक दिन वो नीलू को लंच के बहाने किसी होटल में ले गया और फिर मौका 
देखकर उसके खाने में बेहोशी की दवा मिला दी ...और फिर वही हुआ जो करन ने 
पहले से तय कर रखा था ...अपने दो दोस्तों और होटल के मेनेजर की सहायता से 
वो नीलू को होटल के ही एक कमरे में ले गया और फिर उसके साथ वो सब कुछ किया 
जिसके लिए नीलू लगातार इनकार करती रही थी
 ....इतना ही नहीं बल्कि परले दर्जे की नीचता दिखाते हुए उसने इसे शूट भी 
करवाया और बाद में उसके दोस्तों ने भी वही सब दोहराया जो करण ने नीलू के 
साथ किया था ....कुछ घंटों बाद जब नीलू को होश आया तो वो अपने को किसी 
अनजान जगह पर पाकर चौंक उठी पर सच्चाई जानते ही उसके होश उड़ गए ...वो बुरी
 तरह करन के सामने रोई गिडगिड़ाई...बहुत मिन्नतें की पर करन का दिल नहीं 
पसीजा ..उलटे वो हंसने लगा और बोला कि
 पहले ही मान जाती तो ये सब नहीं होता ..पर तब तो तुम हवा में थी तो लो अब 
भुगतो ....करन ने धमकी di कि अब वो जब भी चाहेगा नीलू को उसकी बात माननी 
पड़ेगी वर्ना वो ये विडियो अपलोड कर देगा और mms के तौर पर भी इसका 
इस्तेमाल करेगा ......नीलू करन का ये रूप देखकर सन्न हो गयी ...उसे समझ 
नहीं आ रहा था कि ये क्या हो गया ...वो बहुत बुरी तरह डर गयी थी ....पर 
उसने ये बात किसी को नहीं बताई .....महीनो तक करन उसे
 प्रताड़ित करता रहा यहाँ तक कि कई बार उसके दोस्त भी साथ होते ....नीलू 
सहती रही ..बर्दाश्त करती रही ......हर बार जब वो विरोध का सोचती तो उसकी 
आँखों के सामने माँ -पापा आ जाते और वो हर बार मजबूर हो जाती ...लेकिन आखिर
 कब तक ....एक दिन उसके सब्र का बाँध टूट ही गया और उसने इंकार कर दिया 
..करन ने फिर उसे डराया -धमकाया पर वो चुपचाप घर वापस आ गयी .....उस रात 
सामान्य तरीके से ही उसने सबके साथ खाना खाया
 ....माँ -पापा के साथ कुछ देर बातें कीं और फिर अपने कमरे में सोने चली 
गयीं ..कहीं कुछ असामान्य नहीं था कि किसी को कुछ शक होता .....अपने कमरे 
में जाकर बहुत देर तक वो फोटो अलबम निकालकर देखती रही ...रोती रही ...और जो
 वो करने जा रही थी उसके लिए माँ - पापा से माफी मांगती रही ...फिर वो उठी 
और उसने दो ख़त लिखे एक पुलिस को और दूसरा माँ--पापा को जिसमे तफसील से 
पूरी घटना का ज़िक्र किया गया था फिर उसके
 बाद उसने खुद को फांसी लगा ली .....उसके इन्हीं खतों को सबूत मानते हुए 
पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया ....कड़ी पूछताछ के बाद सभी ने 
अपने जुर्म कबूले और उन्हें जेल भेज दिया गया ...सामान्यतः इन्साफ तो मिल 
गया नीलू को व् उसके माँ-बाप को पर क्या वाकई इतना पर्याप्त था ? क्या इससे
 नीलू वापस आ सकती थी या फिर उसके माँ-बाप का दुःख कम हो सकता था 
......नहीं ----बिलकुल नहीं ...साथ ही नीलू की एक
 बड़ी भूल भी उजागर हुयी कि काश अगर नीलू ने थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए इसका 
विरोध किया होता और ये बात उसी समय मा-पिता को बताई होती ..पुलिस स्टेशन 
में रिपोर्ट दर्ज कराई होती और डटकर उनका सामना करती तो आज नीलू जिन्दा 
होती ....काश ....काश कि उसने ऐसा किया होता ....काश कि उसने अपने ऊपर कुछ 
भरोसा किया होता पर काश ........बस काश ही रह गया .....अनुत्तरित ....निराश
 .
एक
 प्रश्न और था जो पूरी ताकत के साथ सामने खडा था कि आखिर कब तक ...कब तक ये
 लोग ...ये समाज लड़कियों और स्त्रियों के विरुद्ध ही खड़े रहेंगे ...कब तक
 सिर्फ महिलाओं को निशाना बनाया जाता रहेगा ....कब तक हमारी बेटियाँ डर और 
खौफ के साए में जीती रहेंगी ..कब तक समाज हर गलती के लिए लड़कियों को ही 
दोषी मानता रहेगा ...कब हम सक्षम
 हो सकेंगे कि उन्हें निर्भय व् सम्मानजनक स्थिति मुहैय्या करवा सकें ..कब 
तक हमारा समाज कलंक के साथ जीता रहेगा ....कब तक असली रावण का सम्पूर्ण 
खात्मा हो सकेगा ..कब तक .....कब तक ??????
 
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