Saturday, 15 November 2014

शरारत

शाम के प्याले में शक्कर है सूरज वाली
रात उजाली ,
तपन यहाँ केसरिया है
और शर्म है आँखें काज़ल वाली ,
आओ इसको मिलकर थोडा कहवा जैसा कर लेते हैं
सबसे छुपकर बीच बादलों हम भी थोडा चख लेते हैं !!

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