तुम हो
कहीं भी ...
पर मेरे लिए हो
ये जानती हूँ मै,
यही मानना चाहती हूँ मै ;
तुम्हारा वजूद
तुम्हारा अहसास
तुम्हारा समस्त प्यार
सब मेरे लिए है ,
तुम्ही ने तो कहा था न
ये सब ..... उस शाम
भीगी आँखों से
भावनाओं में डूबकर ;
फिर इसे कैसे झुठला दूं ;
कैसे सोचूँ
की तुम गलत थे ;
गलत तो तुम
हो ही नहीं सकते ,
भले ही अब तुम
मेरे साथ नहीं हो ;
पर तुम सच हो ,
हमेशा
मेरे लिए ....!!
अर्चना राज !!
कहीं भी ...
पर मेरे लिए हो
ये जानती हूँ मै,
यही मानना चाहती हूँ मै ;
तुम्हारा वजूद
तुम्हारा अहसास
तुम्हारा समस्त प्यार
सब मेरे लिए है ,
तुम्ही ने तो कहा था न
ये सब ..... उस शाम
भीगी आँखों से
भावनाओं में डूबकर ;
फिर इसे कैसे झुठला दूं ;
कैसे सोचूँ
की तुम गलत थे ;
गलत तो तुम
हो ही नहीं सकते ,
भले ही अब तुम
मेरे साथ नहीं हो ;
पर तुम सच हो ,
हमेशा
मेरे लिए ....!!
अर्चना राज !!
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