रुई के फाहों की
नर्म आहट हो जैसे;
गुजरते रहते हो तुम
कुछ यूँ मेरे ख्यालों से ,
फिसल जाती हैं कुछ बूंदे
मेरी आँखों में
बादलों के दामन से ;
और ठहर जाती हूँ मै भी
तेरी हथेली में
तेरी तकदीर बनकर ;
की तेरा ख्याल ही
अब तेरा साया बनकर
हर वक्त
मेरे आस पास रहता है ;
मेरे हम्न्फ्ज़ !!!
अर्चना राज !!
नर्म आहट हो जैसे;
गुजरते रहते हो तुम
कुछ यूँ मेरे ख्यालों से ,
फिसल जाती हैं कुछ बूंदे
मेरी आँखों में
बादलों के दामन से ;
और ठहर जाती हूँ मै भी
तेरी हथेली में
तेरी तकदीर बनकर ;
की तेरा ख्याल ही
अब तेरा साया बनकर
हर वक्त
मेरे आस पास रहता है ;
मेरे हम्न्फ्ज़ !!!
अर्चना राज !!
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