Tuesday 8 January 2013

चेतावनी

है घना संघर्ष ये ,
तब भी था अब भी है
क्यों भला पर प्रश्न ये सबसे बड़ा है ,

तुम डरो अब या संभल जाओ कि ये चेतावनी है
रोक लो खुद को कि अब चटकी है बेडी सोच की
खौफ की और बंधनो की ,

मत बनाओ मुझको देवी आम सी लड़की हूँ मै
देखती हूँ मै भी सपने हौसला साकार का है
अब न रोको राह मेरी ये तुम्हें भारी पड़ेगी
ना सहूँगी ना रुकूँगी मै हूँ क्योंकि आम लड़की
मत बनाओ मुझको देवी ,

जख्म तुमने फिर दिया जो अब जलेगा आंच बनकर
मै लड़ूँगी ;मै लड़ूँगी उम्र के उस छोर तक
है जहां पर इक समंदर दिव्यता का
मान का सम्मान का पहचान का ,

युद्ध की शुरुआत है अब
क्रांति का आह्वान है अब ;तुम सुनो
तुम सुनो डरना है तुमको चेतना से
जग चुका है आज मानस
जानता कर्तव्य है ;सत्य है ,

अब निकलने को है सूरज
ये नया आगाज है
ये नया संघर्ष है इंसानियत का !!!


     अर्चना राज





























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