Thursday 18 July 2013

mamma dis is worthless !!






नागपुर में book exibition लगा है ..स्वाभाविक तौर पर मै भी गयी ..कुछ निराशा ही हुई क्योंकि ९०% पुस्तकें या तो मराठी में थीं या फिर बच्चों के लिए ..मेरी ही गलती मानती हूँ की मुझे मराठी पढना नहीं आता ..खैर किताबों को देखते हुए एक किताब पर नज़र पड़ी
anything for u mam...by tushar raheza..
कुछ अलग सा नाम लगा .मैंने देखा तो आईटी स्टुडेंट की लिखी बुक थी ..मुझे लगा चेतन भगत जैसी ही होगी ..आखिर तो वो भी एक आईटी स्टुडेंट ही हैं ...वैसे भी आजकल कुछ अलग तरह के नामो वाली किताब लिखने का मानो  ट्रेंड ही चल गया है ..मैंने भी खरीद ली ..ऑफ़कोर्से कुछ और किताबों के साथ..!!

                       
घर वापस आने पर मेरी बेटी ने जो 12th में है ;सारी किताबें मुझसे लीं जो उसके प्रिय कामो में से एक है और देखने लगी ..उसे भी पढने का शौक है ..इस बुक को देखकर उसने कहा ..ये बुक क्यों ली आपने ..its not good for u ...u wont like it ...मेरे पूछने पर उसने बताया की ..ये मेरी फ्रंड ने पढ़ी है ..उसने बताया की अच्छी नहीं है..मैंने कहा कोई नहीं ..पढ़ कर देखते हैं ..!!

                     
मैंने बुक पढना शुरू किया ..यकीन मानिये कभी कभी हलकी फुलकी कहानियां भी अच्छी लगती हैं ..book adventurous थी ..लेखक के साथ साथ मुझे भी लग रहा था बार बार कि काश उसका काम बन जाए ..पूरी पढने के बाद अच्छा ही लगा ..हल्का सा महसूस हुआ ..कभी कभी कोई कहानी आपको अपने दिनों में ले जाती है...आप द्वारा कि गयी सारी शरारतें..सारा बचपना आँखों के सामने घूमने लगता है ..मुझे भी यही महसूस हुआ ..book की happy ending के साथ मै भी खुश ही थी पर मै इसे अपनी बेटी के सामने कभी स्वीकार नहीं करूंगी...क्योंकि आखिर तो मै उसकी माँ हूँ और माँ होने के नाते उसके सामने इस तरह की बातों को appriciate तो नहीं कर सकती न...तो सोचा आप सबसे शेयर करूं..दरअसल हम व्यक्ति के तौर पर कुछ और होते हैं और रिश्तों में कुछ और ...अगर आपको ये पसंद आया और आप सहमत हैं तो कृपया अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें !

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