ehsaas
Tuesday, 22 July 2014
सज़ा
एक टुकड़ा उदासी तुम्हें देती हूँ
नोंचकर खुद से ,
जियो इसे और जानो
मेरी उम्र की वो इबादत
जो तुम्हारे बगैर तुम्हारे साथ
पूरी की मैंने !!
1 comment:
NKC
28 July 2014 at 04:44
bahut hi sundar!
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bahut hi sundar!
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