चाँद सहमा रहा बादलों में
जैसे बूँदें चिपक गयी हों हथेली से
हवाओं में थरथराहट कंपकंपा उठी
सीने में बेचैनी
प्यास उतर आई रूहों तक
पर मिलना फिर मुल्तवी हो गया
जो उसने कहा
मै लौट कर आता हूँ !!
जैसे बूँदें चिपक गयी हों हथेली से
हवाओं में थरथराहट कंपकंपा उठी
सीने में बेचैनी
प्यास उतर आई रूहों तक
पर मिलना फिर मुल्तवी हो गया
जो उसने कहा
मै लौट कर आता हूँ !!
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