सपनो का टूटना फ़िक्र की बात नहीं
टूट ही जाते हैं अक्सर ,
इनका पलना जरूरी है
कुंद होने से बचने की खातिर
इनका बिखरना भी उतना ही जरूरी है
कि हर सृजन की शुरुआत
टूटे स्वप्न की बदसूरत किर्चियों से ही होती है ,
समेटने में हथेली ही नहीं सीना भी छलनी हो जाता है
सुर्ख धार दर्द की कलम के हिस्से आती है
फिर लिखा जाता है कोई सूत्र वाक्य जीवन का
अपनाया जाता है
व्यक्ति तब बनता है इन्सा सही मायनों में
हर तकलीफ और दर्द की सतह से ऊपर
रचता हुआ जिन्दगी का काव्य-गद्य!!
टूट ही जाते हैं अक्सर ,
इनका पलना जरूरी है
कुंद होने से बचने की खातिर
इनका बिखरना भी उतना ही जरूरी है
कि हर सृजन की शुरुआत
टूटे स्वप्न की बदसूरत किर्चियों से ही होती है ,
समेटने में हथेली ही नहीं सीना भी छलनी हो जाता है
सुर्ख धार दर्द की कलम के हिस्से आती है
फिर लिखा जाता है कोई सूत्र वाक्य जीवन का
अपनाया जाता है
व्यक्ति तब बनता है इन्सा सही मायनों में
हर तकलीफ और दर्द की सतह से ऊपर
रचता हुआ जिन्दगी का काव्य-गद्य!!
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