मौन को उम्मीद की उंगली थामे बरसों हुए
कहीं कुछ अनकहा रह गया था
शायद अनसुना भी ---------
वक्त की दीवार हीरे सी है
ज़िंदगी पानी सी ,
धार कहाँ से लाऊं -----कैसे पकड़ूँ
कि दिखे तुम्हारी उम्र पर थमी मेरे उम्र की लकीरें !!
अर्चना राज
कहीं कुछ अनकहा रह गया था
शायद अनसुना भी ---------
वक्त की दीवार हीरे सी है
ज़िंदगी पानी सी ,
धार कहाँ से लाऊं -----कैसे पकड़ूँ
कि दिखे तुम्हारी उम्र पर थमी मेरे उम्र की लकीरें !!
अर्चना राज
wakt ki deewar heere si or jindgi pani si ,
ReplyDeletePr moun h jo ummeed ki ungli thame brso se , wakt ki deewar torne ki kosis kr rha h , or afsos ye ki jindgi pani ki tarha har lamha bahti ja rhi h , ,
Aapne to ehsas ki gahrai me chhipi mann sthiti ko shabdo me uker diya , pr sayad kuchh h jo shabdo me b piroya nhi ja skta ,or kosis kijiye