सीने से दर्द की बर्फ
कुछ यूँ
नजाकत से पिघली ;
रवानी बढ़ती ही गयी
शाइस्ता अश्कों की
मेरे डूबने तलक ,
न जाने कब इस तरह
मै औरत से
एक नदी में तब्दील हो गयी
हमनफज मेरे !!
अर्चना राज !!
कुछ यूँ
नजाकत से पिघली ;
रवानी बढ़ती ही गयी
शाइस्ता अश्कों की
मेरे डूबने तलक ,
न जाने कब इस तरह
मै औरत से
एक नदी में तब्दील हो गयी
हमनफज मेरे !!
अर्चना राज !!
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