तुम
बस वहीँ ठहरे रहो
अपने सुकून की सतह पर
खुशबू की तरह ;
हो सके तो
एक लिबास सिलो
अपनी साँसों को चुनकर
अपनी धडकनों के धागों से ;
मै भी वहीँ हूँ
सूरज की सुर्ख ज़मीन पर
खलिश का दरिया समेटे ;
मैंने भी बुना है
एक सपना मुहब्बत का
तपिश के धागों से
तुम्हारे लिए ;
तुम्हारे सुकून और मेरी खलिश को
वक्त के अलाव में
आहिस्ता-आहिस्ता
अभी कुछ और पकने दो ;
फिर हम दोनों ही देंगे
ये सौगात एक दूसरे को
कच्ची मिटटी के घड़े में भरकर ;
तुम्हारे लिबास में मै राधा बन जाउंगी
और मेरे सपने संग तुम मोहसिन बन जाना
हमनफज मेरे !!
अर्चना राज !!
बस वहीँ ठहरे रहो
अपने सुकून की सतह पर
खुशबू की तरह ;
हो सके तो
एक लिबास सिलो
अपनी साँसों को चुनकर
अपनी धडकनों के धागों से ;
मै भी वहीँ हूँ
सूरज की सुर्ख ज़मीन पर
खलिश का दरिया समेटे ;
मैंने भी बुना है
एक सपना मुहब्बत का
तपिश के धागों से
तुम्हारे लिए ;
तुम्हारे सुकून और मेरी खलिश को
वक्त के अलाव में
आहिस्ता-आहिस्ता
अभी कुछ और पकने दो ;
फिर हम दोनों ही देंगे
ये सौगात एक दूसरे को
कच्ची मिटटी के घड़े में भरकर ;
तुम्हारे लिबास में मै राधा बन जाउंगी
और मेरे सपने संग तुम मोहसिन बन जाना
हमनफज मेरे !!
अर्चना राज !!
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