प्रेम की गंभीरता ही
आदि श्रोत है
प्रेम में दिव्यता का ,
और खुद को साधना
और स्थापित करना ही
स्पष्ट और अमूर्त सत्य ,
इसके मूल में ही
श्रेष्ठता है प्रेम की ;
इसका आभाष होते ही
मै अनायास ही प्रकृति बन गयी
मेरे आदि पुरुष
और तुम शिव ,
यही है शाश्वत सत्य
निर्मल सुन्दर
और
निर्विरोध अखंड प्रेम
सदा के लिए
मेरे प्रिय !!
अर्चना राज !!
आदि श्रोत है
प्रेम में दिव्यता का ,
और खुद को साधना
और स्थापित करना ही
स्पष्ट और अमूर्त सत्य ,
इसके मूल में ही
श्रेष्ठता है प्रेम की ;
इसका आभाष होते ही
मै अनायास ही प्रकृति बन गयी
मेरे आदि पुरुष
और तुम शिव ,
यही है शाश्वत सत्य
निर्मल सुन्दर
और
निर्विरोध अखंड प्रेम
सदा के लिए
मेरे प्रिय !!
अर्चना राज !!
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