यहाँ मुहब्बत का अर्थ जीवन और मुस्कुराहटों का अर्थ दर्शन से है ..तुझे ..जीवन को संबोधन भर है
रंगों और खुशबुओं का तात्पर्य सभ्यता और संस्कार से है जो हमारे भारतीय परम्परा की अमूल्य धरोहर हैं !
मुहब्बतों की शक्ल अक्सर मुस्कुराहटों से जुदा होती है
तुझे जानकर ही ये जाना मैंने ,
कच्ची धूप में कभी मूरत नहीं पकती
न ही बर्फ के टुकड़ों से मिटटी सानी जाती है
बेहद आवश्यक होने पर भी यहाँ रंगों और खुशबू का जिक्र बेमानी है ,
मुहब्बतों की मूरतों को तो विशुद्ध घाम में जलना पड़ता है , तपना पड़ता है
तब कहीं इसके साकार होने के प्रक्रिया की शुरुआत भर होती है
एक-एक दरार को पाटने के लिए
खुद को पानी सा कर लेना होता है , रंग गंध स्वाद हीन
जिसका अस्तित्व घुलकर परिवर्तित होने के गुणों के कारण ही सुरक्षित है,
सूरज जब चरमोत्कर्ष पर अपनी हथेलियों को आहिस्ता-आहिस्ता फैलाता है
और अनगिनत अक्षय उर्जा का भण्डार मानो एक-एक कर
समस्त धरती पर बिखरता चला जाता है
तब ही तो पहली सांस जनमती है मूरत में
और तब ही उसके जीवंत होने की सार्थकता भी उभरती है
अब इन्द्रधनुषी रंगों से सजाये सँवारे जाने के बाद ही
पूरे आत्मविश्वास से मुहब्बतों में मुस्कुराहटों का मिलन होता है
और इनका ये मिलन एक खुशबू की तरह जीवित रहता है
पूरी सृष्टि में , अनंतकाल तक के लिए !!
अर्चना "राज "
बहुत सुन्दर परिभाषा की है प्रेम को रचा-बसा लेने की.... सरल भाषा मे व्यवस्थित तरीके से सारी महत्वपूर्ण बातों को कहा....
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