सृजन होगा
घनी पीड़ा में
घने ताप में
गहन अवसाद में
निराशा के कोटर में भी
सृजन होगा ,
सृजन होगा
क्योंकि ये विश्व रचित है
निर्मित है
गतिशील है
तो संभावनाओं के परे भी
सृजन होगा ,
खुली धूप में
गहन अन्धकार में
धुंआधार बारिश में
उफनते समुद्र में
आशा की ऊँगली थामे
सृजन होगा ,
सृजन होगा
क्योंकि सृष्टि है
सत्य है
शिव है !!
अर्चना "राज "
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