jindegi
जिंदगी के कदम
थमकर चलते हुए भी
आज हमारे साथ हैं ,
वो लम्हा भी साथ है
जब हम एकाकी होते थे .....
हाथ पकडे पर खुद में खोये हुए
मीलों चलने तक तलाशते
इस जीवन का सच .....
और अंत में
बेचारगी से हंस देते ,
प्रश्नों के उत्तर से कतराती
मौन आँखें ,
शर्मिंदा न होने देने की कोशिश
कितना बेचारा कर जाती ,
इनसे बचने के लिए हम
एक बार फिर
जिन्दगी की रंगीनियाँ पाने
दौड़ पड़ते ........
इन्हीं थमकर चलते कदमो से !!!
अर्चना" राज "
थमकर चलते हुए भी
आज हमारे साथ हैं ,
वो लम्हा भी साथ है
जब हम एकाकी होते थे .....
हाथ पकडे पर खुद में खोये हुए
मीलों चलने तक तलाशते
इस जीवन का सच .....
और अंत में
बेचारगी से हंस देते ,
प्रश्नों के उत्तर से कतराती
मौन आँखें ,
शर्मिंदा न होने देने की कोशिश
कितना बेचारा कर जाती ,
इनसे बचने के लिए हम
एक बार फिर
जिन्दगी की रंगीनियाँ पाने
दौड़ पड़ते ........
इन्हीं थमकर चलते कदमो से !!!
अर्चना" राज "
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