Sunday, 25 March 2012

yaaden

yaaden

मुट्ठी भर धुप 
      अंतस में उजाला कर गयी ;

दिल को
        अहसासों से  भर गयी ;

तुम्हारी याद आई .............
बहुत ...........................बहुत .........................

गीली आँखों में जो
       दर्द की तरह समां गयी........

     तुम्हारी आँखें
खामोश ....ताका  करती  थी ;

      तुम्हारी आँखें
कितनी ही बातें किया करती थीं;

सोचते ..........गुनते .............सहेजते
कब शाम हुई...............
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रात भी ढल गयी ...
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और जो देखा तो..........

चांदनी सिमटी पड़ी थी

आकाश की बाहों में ...........................
..................
एक दर्द ........
................
अब अन्तेर्मन में........
.................

तैर गया .............बिखर गया............

मै हंस दी ...............

उन्ही गीली आँखों से ...................!!!!!!!!!!!!


                             अर्चना "राज "

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