देखा उसने स्वप्न
कि एक दफे मुस्कान उतरकर
रंग से भरकर
चली ठुमकती सड़कों पर जैसे बौराई ,
वहीँ कहीं पर ठिठका था भर ग्लास
कि जैसे हास बेशरम हो ठंडाई
लगा पकड़ने रेशम जैसा आँचल उसका
भर झल्लाई भले लिया फिर थाम कि उसका हाथ
गले में माला जैसे ,
थोड़ी दूर खड़ा था कोई भर मुट्ठी में भंग
कि जैसे गीत कोई मलंग
जो नाचे भर अंगनाई बजा के चिमटा
लिपट-चिपट कर लोट लगाकर
घर -आँगन की मिट्टी से श्रृंगार रचाकर
फ़ैली बांह लिए दौड़ा उस ओर
कि मानो वही प्रेयसी बचपन वाली
खडी हो टेसू के फूलों का हार बना कर
लज्जा से चितवन का मोहक साज़ बनाकर
भर के जिसको अंक
हो सके औघड़ शिव सा
कर दे उसको प्रकृति की सुन्दरतम कृति सा ,
कि तभी बगल से गुजरी टोली जोर का पूरे शोर मचाकर
होली है भई होली है बुरा न मानो होली है
टूट गया फिर स्वप्न कि टूटी सब उम्मीदें सारे सपने
भर पिचकारी मारी जब मिलकर सबने
और ठूंस दिया मुंह भर गुझिया का स्वाद अनूठा
देखा उसने कहीं पर मगर नहीं था कोई
टीस गया कुछ आँखों में
भर आया पानी
बंद आँखों से पहला टीका लगा के उसको
दूजे में फिर भर गुलाल चिल्लाया कसकर हो जोगनिया सरररर !!!!!
कि एक दफे मुस्कान उतरकर
रंग से भरकर
चली ठुमकती सड़कों पर जैसे बौराई ,
वहीँ कहीं पर ठिठका था भर ग्लास
कि जैसे हास बेशरम हो ठंडाई
लगा पकड़ने रेशम जैसा आँचल उसका
भर झल्लाई भले लिया फिर थाम कि उसका हाथ
गले में माला जैसे ,
थोड़ी दूर खड़ा था कोई भर मुट्ठी में भंग
कि जैसे गीत कोई मलंग
जो नाचे भर अंगनाई बजा के चिमटा
लिपट-चिपट कर लोट लगाकर
घर -आँगन की मिट्टी से श्रृंगार रचाकर
फ़ैली बांह लिए दौड़ा उस ओर
कि मानो वही प्रेयसी बचपन वाली
खडी हो टेसू के फूलों का हार बना कर
लज्जा से चितवन का मोहक साज़ बनाकर
भर के जिसको अंक
हो सके औघड़ शिव सा
कर दे उसको प्रकृति की सुन्दरतम कृति सा ,
कि तभी बगल से गुजरी टोली जोर का पूरे शोर मचाकर
होली है भई होली है बुरा न मानो होली है
टूट गया फिर स्वप्न कि टूटी सब उम्मीदें सारे सपने
भर पिचकारी मारी जब मिलकर सबने
और ठूंस दिया मुंह भर गुझिया का स्वाद अनूठा
देखा उसने कहीं पर मगर नहीं था कोई
टीस गया कुछ आँखों में
भर आया पानी
बंद आँखों से पहला टीका लगा के उसको
दूजे में फिर भर गुलाल चिल्लाया कसकर हो जोगनिया सरररर !!!!!
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