सहरा की रेत में
मेरे नाम की लकीरें सुलग जाती हैं
समन्दर की लहरों में
मेरी तस्वीर बिखर जाती है
चाहो तो मान लो
कि अब तलक जिन्दा हूँ मै
वरना जीने में
यूँ तो इक उम्र गुजर जाती है !!
अर्चना "राज "
मेरे नाम की लकीरें सुलग जाती हैं
समन्दर की लहरों में
मेरी तस्वीर बिखर जाती है
चाहो तो मान लो
कि अब तलक जिन्दा हूँ मै
वरना जीने में
यूँ तो इक उम्र गुजर जाती है !!
अर्चना "राज "
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