अधूरी होती हैं वो लड़कियां
जिनके गीले ज़ख्मो से प्रेम नहीं रिसता
जिनकी आँखों में भाप नहीं बनती
जिनकी चाय बनते - बनते कई बार आधी नहीं होती
या जिनकी हथेलियाँ अक्सर रोटियों से नहीं जला करतीं ,
जिनके गीले ज़ख्मो से प्रेम नहीं रिसता
जिनकी आँखों में भाप नहीं बनती
जिनकी चाय बनते - बनते कई बार आधी नहीं होती
या जिनकी हथेलियाँ अक्सर रोटियों से नहीं जला करतीं ,
वो भी कि जिनकी आलमारी का एक कोना
किसी ख़ास किस्म की गंध का वाकिफ नहीं होता
एक ख़ास किस्म के दर्द का साझी नहीं होता
जिनकी डायरियां सहज सुलभ होती हैं
या जिनमे कविताओं को जीने का माद्दा नहीं होता ,
किसी ख़ास किस्म की गंध का वाकिफ नहीं होता
एक ख़ास किस्म के दर्द का साझी नहीं होता
जिनकी डायरियां सहज सुलभ होती हैं
या जिनमे कविताओं को जीने का माद्दा नहीं होता ,
वो भी जो तितलियों को
पकड़ते-पकड़ते सहम कर छोड़ देती हैं
या फूलों पर मंडराती आवाज़ से खौफ खाती हैं
डरती हैं जो रात के सन्नाटे में अकेले सड़क पर टहलने से
या कई दफे जो खींच लेती हैं आंचल सलीके से
अजनबी परछाइयों को देखते ही ,
पकड़ते-पकड़ते सहम कर छोड़ देती हैं
या फूलों पर मंडराती आवाज़ से खौफ खाती हैं
डरती हैं जो रात के सन्नाटे में अकेले सड़क पर टहलने से
या कई दफे जो खींच लेती हैं आंचल सलीके से
अजनबी परछाइयों को देखते ही ,
शाम होते ही घरों पर ताले लगा लेती हैं
होमवर्क करवाती हैं न्यूज़ सुनती हैं डिनर करती हैं
फिर सो जाती हैं सबसे नज़दीकी अनजान आदमी के साथ
सोती रहती हैं हर रात किसी वाजिब रस्म की तरह
खालीपन महसूस किये बिना ही ,
होमवर्क करवाती हैं न्यूज़ सुनती हैं डिनर करती हैं
फिर सो जाती हैं सबसे नज़दीकी अनजान आदमी के साथ
सोती रहती हैं हर रात किसी वाजिब रस्म की तरह
खालीपन महसूस किये बिना ही ,
टूटकर जिए बिना समझा नहीं जा सकता प्रेम को
प्रेम के अधूरेपन को
जो हड्डियों में गांठों सा हो जाता है
जी लेने पर सीने में साँसों सा !!
प्रेम के अधूरेपन को
जो हड्डियों में गांठों सा हो जाता है
जी लेने पर सीने में साँसों सा !!
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