चुनो
चुनो दर्द या खुशी
प्रेम या अ प्रेम
( प्रेम का विलोम नहीं होता)
सांस या शांति
उम्र या जिंदगी,
चुनो दर्द या खुशी
प्रेम या अ प्रेम
( प्रेम का विलोम नहीं होता)
सांस या शांति
उम्र या जिंदगी,
चुनाव तुम्हारा होगा
व्यक्तिगत,
व्यक्तिगत,
इसलिए चुनो
अन्य सब दरकिनार कर
अपने लिए मात्र,
अन्य सब दरकिनार कर
अपने लिए मात्र,
इस सत्य के साथ
कि एक के साथ एक मुफ्त है
जैसे अ प्रेम के साथ खुशी
और प्रेम के साथ पीङा
असहनीय,
कि एक के साथ एक मुफ्त है
जैसे अ प्रेम के साथ खुशी
और प्रेम के साथ पीङा
असहनीय,
मेरे हमनफज।।
रात बुुन रही है सुंदर कविता
अलाव की लुकाठी थामे,
अलाव की लुकाठी थामे,
मिट्टी के सीने में सिहरन है
कि आसमान बस ढह पङने को है,
कि आसमान बस ढह पङने को है,
पहना दी जाएगी यही कविता
मिट्टी और आसमान के मिलन से उपजी
लथपथ भोर की पहली किरण को
रात की विरासत की तरह,
मिट्टी और आसमान के मिलन से उपजी
लथपथ भोर की पहली किरण को
रात की विरासत की तरह,
जिसे ओढ़ पूरा वो गुनगुनाती फिरे
किसी चिड़िया सी चहचहाती फिरे
और कर दे रूमानी धूप को भी,
किसी चिड़िया सी चहचहाती फिरे
और कर दे रूमानी धूप को भी,
शाम संधिकाल है
रात फिर होगी
अनेकों कविताओं के अदभुत प्रसव के लिए
कि अब तो सूरज को भी इंतजार है मीठी पीङाओं का,
रात फिर होगी
अनेकों कविताओं के अदभुत प्रसव के लिए
कि अब तो सूरज को भी इंतजार है मीठी पीङाओं का,
प्रेम यूँ भी होता है
मेरे हमनफज।।
मेरे हमनफज।।
No comments:
Post a Comment