Sunday, 31 January 2016

कवितायेँ

कई दफे इंतजार खुद घायल दिखा है,
कि टिकी नजर जहां पर थी
वहां आहट किसी की है
कि जिसे चाहता था वो 
उसे चाहत किसी की है,
कभी कभी इश्क यूँ भी
मेरे हमनफज।।


इश्क के भी साइड इफेक्ट्स होते हैं
कभी मीठे कभी तीखे
तो कभी चरपरे,
इश्क कभी बेस्वाद नहीं होता 
मेरे हमनफज।।


बहुत हैरान मत हो
वही हूँ मैं,
लथपथ खून में सिमटी
इंतिहा दर्द में लिपटी
सिंकी सदियों हूँ आंसू में
बिकी सदियों हूँ पैसों में
मैं अपनो की शिकायत हूँ
मैं नफरत की रवायत हूँ,
मैं हूँ इंसानियत
लेकिन नही उनकी
कि जिनके हाथ में तलवार है
फकत उनकी
कि जिनकी गरदनों पर वार है,
सुना तुमने कुलीनों।।

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