बचपन से मेरे आँगन में तुलसी का इक पौधा है ;
दीये और आरती से जो हमेशा पूजा जाता है ;
तुम्हारा प्रेम मेरे दिल में तुलसी सा बसा है यूँ ;
मै पूजा जिसकी करती हूँ ; दीये सा फिर भी जलती हूँ !!!
अर्चना राज !!
दीये और आरती से जो हमेशा पूजा जाता है ;
तुम्हारा प्रेम मेरे दिल में तुलसी सा बसा है यूँ ;
मै पूजा जिसकी करती हूँ ; दीये सा फिर भी जलती हूँ !!!
अर्चना राज !!
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