Wednesday, 4 January 2012

तुम्हारा प्रेम

बचपन से  मेरे आँगन में तुलसी का इक पौधा है ;

दीये और आरती से जो हमेशा पूजा जाता है ;

तुम्हारा प्रेम मेरे दिल में तुलसी सा बसा है यूँ ;

मै पूजा जिसकी करती हूँ ; दीये सा फिर भी जलती हूँ !!!


                                   अर्चना राज !!

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