मुट्ठी में जिन्दगी की हैं कैद लम्हे इतने
गुजरते हैं दरमियाँ जो साँसों से रेत जैसे
अहसास नहीं होता खोने का इनको अक्सर
बस आँख है भर आती आइना फकत देखकर !!
अर्चना राज !!
गुजरते हैं दरमियाँ जो साँसों से रेत जैसे
अहसास नहीं होता खोने का इनको अक्सर
बस आँख है भर आती आइना फकत देखकर !!
अर्चना राज !!
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