आइना रोज एक शक्ल दिखाता है हमें;
कभी बेहद जाना - पहचाना तो कभी
बिलकुल बेगाना नज़र आता है हमें ;
चेहरे की लकीरों में कई अफ़साने हैं;
कुछ यादों ने लिखे कुछ ज़ख्मो ने
जो नहीं लिखा वही मिटाना है हमें ;
दर्द अश्को में छुपा ऐसे राजदार बनकर;
गर समझ सको तो साथ हो लेना हमारे
वर्ना हमसफर सा साथ निभाना है हमें ;
ज़ख्म झुर्रियों में सिमट गया है तकदीर जैसे;
मिटाने की कोशिश में हथेलियाँ अब सुर्ख हुईं
उम्र भर इन्हें यूँ हिफाजत से सजाना है हमें !!!
अर्चना राज !!
कभी बेहद जाना - पहचाना तो कभी
बिलकुल बेगाना नज़र आता है हमें ;
चेहरे की लकीरों में कई अफ़साने हैं;
कुछ यादों ने लिखे कुछ ज़ख्मो ने
जो नहीं लिखा वही मिटाना है हमें ;
दर्द अश्को में छुपा ऐसे राजदार बनकर;
गर समझ सको तो साथ हो लेना हमारे
वर्ना हमसफर सा साथ निभाना है हमें ;
ज़ख्म झुर्रियों में सिमट गया है तकदीर जैसे;
मिटाने की कोशिश में हथेलियाँ अब सुर्ख हुईं
उम्र भर इन्हें यूँ हिफाजत से सजाना है हमें !!!
अर्चना राज !!
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