Wednesday 10 January 2018

अंकल

ओ हो , बहुत देर हो गयी आज ,जल्दी निकलना होगा ...बड बडाते  हुए आहना ने जल्दी जल्दी अपने जूते के फीते बांधे ...हांथों से बालों को संवारा और बाहर निकल गयी ....दरअसल ये उसके मोर्निंग वाक का समय था जिसे वो किसी भी कीमत पर मिस नहीं करना चाहती थी ...सालों का अभ्यास था और अब तो ये उसे मोर्निंग वाक से ज्यादा लोगों से मिलने जुलने और सोशलाइज करने का वक्त लगता .....वाक के बाद एक जगह रुककर सभी अपने अपने पसंद का जूस लेते ..कोई लौकी का आंवले और एलोवेरा के साथ तो कोई करेले का ..कोई गेहूं का रस तो कोई दालचीनी वाला काढ़ा ......कुछ मिनटों कि गपशप में रोजमर्रा से लेकर दुनिया जहाँ तक  और देश की राजनीती तक पर बात हो जाती ...राय दिए जाते ...हंसी मज़ाक होता और फिर सभी प्रफुल्लित हो अपने अपने घर वापस ...इससे पूरे दिन के लिए उन सभी में ताज़ी उर्जा भर जाती और फिर पूरा दिन बिना किसी थकन के गुजरता ......आहना इसे मिस नहीं करना चाहती थी इसलिए वो जल्दी जल्दी अपने कदम बढा रही थी और फिर जैसा कि अंकल ने भी कहा था कि अगर टहलना है तो लम्बे डग लेने चाहिए और सुबह का वक्त हो तो साँसों को तेजी से खींचकर थोड़ी देर रोकना चाहिए ..इससे फेफड़े मजबूत होते हैं....लड़ने का हौसला मिलता है और चेहरे पर चमक आती है उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा था  ....अंकल , सोचते ही उसके होंठों पर मुस्कुराहट तैर गयी ....65 की उम्र में भी एकदम फिट एन फाइन ....तय वक्त पर उनकी गाडी पार्किंग में लग जाती ....नीले वाकिंग शूज़ ,ट्राउज़र और सफ़ेद या कभी नीली, लाल  टी शर्ट में वो नीचे उतरते ...हाथों में वाकिंग स्टिक जिसका इस्तेमाल कभी कभार ही होता , रौबदार मूछें ,सफ़ेद काले खिचडी बाल ,गेहुँआ रंग थोड़ी उभरी नाक कुल मिला जुलाकर यही था अंकल का बाहरी व्यक्तित्व |

उनसे पहली बार की मुलाक़ात आहना  को विचित्र लगी थी ....वो सामान्य चाल से अपने कदम बढा रही थी कि तभी पीछे से तेज़ 

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