Wednesday 22 January 2020

तुम्हारा सुख

तुम्हारा सुख प्राथमिकता है
मेरी फ़िक्र मत करो
मै प्रेम में हूँ ,
तकलीफें हमेशा बुरी नहीं होतीं
खासकर तब जब वो चुनी गयी हों
कि प्रेम साथ हो तभी संभव है ये जरूरी नहीं
कि कई बार अलगाव बनाये रखता है उसमे मजबूती
प्रेम को मजबूत ही होना चाहिए किसी पुल की तरह या किसी छत की तरह ,
प्रेम में शिकायतें हो सकती हैं बल्कि होनी चाहिए
इनसे बची रहती है उम्मीद
पर कह देना वर्जित है कि हर बार कह दिया जाना उसे कमजोर कर देता है
और प्रेम किसी किस्म की कमजोरी अफोर्ड नहीं कर सकता
शिकायतों को ताकत की तरह संजोना चाहिए ,
प्रेम आत्म उड़ेलने से ही नहीं होता
कई बार खुद को सीमित करना होता है
कसकर बाँधना होता है
कि बहाव चाहे कितना भी उग्र क्यों न हो पर निश्चित ही उसे असंयमित नहीं होने देना है
प्रेम अमर्यादित नहीं होना चाहिए ,
हर क्षण पीड़ा टपकती है भीतर
जैसे टपकता रहता है टूटा नल जिसे सुधारा नहीं जा सकता
फिर भी नहीं सोच पाती कभी कि लौटूं
लौटना असंभव तो नहीं पर लगभग असंभव है
कि मेरे न लौटने में ही तुम्हारा सुख है साथी
इसलिए ही अपने पीछे मै लगातार कैक्टस बोते चल रही हूँ ,
ये एक सुबह की शाम है
जब मैं चुपचाप चाय का कप हाथ में लिए
डूबते सूरज को निहारती पास ही मद्धिम सुरों में बजते इस गीत को महसूस कर रही हूँ
कि छुपा लो यूँ दिल में प्यार मेरा
कि जैसे मंदिर में लौ दिए की
और बहुत खंगालने के बाद भी खुद को यही सच लगा सही लगा
कि तुम्हारा सुख ही मेरी प्राथमिकता है
मेरी फ़िक्र मत करो
कि मै तो प्रेम में हूँ साथी |

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