Monday, 27 November 2017

यूँ ही

जब हम बीमार हों
हमारे आस पास की हवा हो अलसाई
जब उबी हुई सी महक आये
जीभ लगे कसैली
उकताहट भरे हों दिन और धूप
और रात खूब लंबी ,
क्या करें फिर
सिवाय इसके
कि सिर तक तानकर चादर
सोते रहें
कुढते रहें.।

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