इश्क आदत है निभाते रहिये
दर्द सरेराह यूँ बिछाते रहिये,
दर्द सरेराह यूँ बिछाते रहिये,
भर उठे जब भी आँसुओं से हलक
नगमा महफिल में सुनाते रहिये,
नगमा महफिल में सुनाते रहिये,
रख कर हाशिये पर राहतोें को
खुद में बेचैनियां जगाते रहिये,
खुद में बेचैनियां जगाते रहिये,
कभी रियाज तो कभी चोटों से
दिल को शबनमी बनाते रहिये,
दिल को शबनमी बनाते रहिये,
रात टूटी है बङी देर के बाद
जाम उसको भी पिलाते रहिये,
जाम उसको भी पिलाते रहिये,
यकबयक सामने आ जायें कभी
उनको इस तरह बुलाते रहिये,
उनको इस तरह बुलाते रहिये,
न हुये मेरे तो कोई बात नहीं
"राज "गैर न हों ये सिखाते रहिये।
"राज "गैर न हों ये सिखाते रहिये।
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