Monday 27 November 2017

माँ

कौन सा सितारा हो तुम 
कहाँ देखूँ कि देख पाऊँ तुमको 
सप्तर्षि के पास या ध्रुव तारे के करीब 
मुक्ति के बाद मुक्त हो सकी हो माँ 
या मेरा दुख मेरे आँसूं अब भी पहुँच पाते हैं तुम तक 
तुम बादलों की ओट लेती हो
या वहाँ से भी देख पाती हो मुझे
कहो न
कहो न माँ कहाँ हो तुम
कहाँ देखूँ कहाँ ढूंढूं तुम्हें
कि तुम्हारा जाना सच नहीं लगता
नहीँ लगता कि अब तुम कभी नहीं लौटेगी मेरे पास
लगता है जैसे अभी पुकारोगी
अभी लोगी मेरा नाम
मुझे छुओगी और अपनी बाहों में भर चूम लोगी मेरा माथा
तुमसे लिपटकर तुम्हारी खुशबू से भर जाऊँगी मैं
एक बार लौट आओ माँ
बस एक बार कि तुम्हारी आवाज़ से भर लूँ मन
कि तुमसे लिपटकर तुम्हारी खुशबू से तर कर लूँ अपनी आत्मा
अपनी हथेलियों से एक बार सहला दो मेरे बाल मेरा चेहरा
फिर चाहे तो चली जाना
चली जाना फिर
बस कुछ देर के लिए मेरे पास आ जाओ माँ
अंतिम बार जाने के लिए
मेरी इतनी सी बात तो सुन लो न माँ।।।

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