Monday 27 November 2017

माँ

तुम्हीं कहती थीं
तुम्हीं कहती थीं न माँ मुस्कुराकर
तुम्हें देखकर दिल खुश हो जाता है
मेरे पास बैठो कि मेरे बच्चे बहुत अच्छे हैं
और अपने कमजोर मुलायम हाथों से पकड़ कर मुझे पास बैठा लेती थीं,
तुम्हीं कहती थीं न हमेशा
बताओ क्या बनवाऊं क्या खाओगी ये बनवा दूँ वो बनवा दूँ
फिर मनुहारतीं कि चलो आओ
आज माँ बेटी साथ में खाते हैं,
तुम्हीं कहती थीं न चिंतातुर हो
बेटा खुश तो हो
कोई तकलीफ तो नहीं
कोई कुछ कहता तो नहीं
कहे तो बताना
माँ से कुछ मत छिपाना
मेरी प्यारी बेटी
और हथेलियों से सहलाते अपनी गोद में छिपा लेतीं
मेरी कम उम्र शादी तुम्हें हमेशा सालती,
तुम्हीं कहती थीं न
कि पूरे हास्टल मे
मुझे तुमसे सुंदर कोई नहीँ लगता
तुम सा प्यारा तुम सा स्मार्ट कोई नहीं लगता
और मुझे बाहों में भर मेरा माथा चूम लेती,
तुम्हीं थीं न माँ
कि नीम बेहोशी में भी
जब तब केवल मेरा नाम पुकारतीं
बस मुझे याद करतीं
पापा को उलाहना देतीं
मेरी दूर शादी का
मेरी तकलीफों का
भाई का नाम तक नहीं लिया था तुमने,
तुम्हीं थीं न माँ
कि आई सी यू में भी
मशीनों से घिरे होने पर
जब सबने कहा कि किसी को नहीं पहचान पा रही
मुझे एकदम से पहचान लिया था
हुलसकर कहा था
ये तो मेरी बेटी है
मेरी बेटी,
तुम्हीं थीं न माँ
कि मेरी बेटियों की झूठी शिकायत पर
मुझे झूठ मूठ ही डांटती
और उनके खुश होने पर हँस देतीं खुलकर
उन्हीं की तरह
फेवरिट नानी थीं तुम,
तो अब कहाँ हो
क्यों नहीं दिखती मुझे
क्यों नहीं हथेलियों से पकड़ कर सीने से लगा लेती मुझे
क्यों नहीं पूछती मुझसे मेरी मर्जी
क्यों नहीं पुकारती मेरा नाम
क्यों नहीं चूम लेती एक बार फिर मुझे
क्यों नहीं आज फिर जानना चाहतीं मुझसे मेरी तकलीफ
कि आज सच ही बहुत तकलीफ में हूँ माँ
भयानक उदासी
क्रूर खामोशी
और खूब घुटन
कोई नहीं ऐसा जैसी तुम
आओ न माँ
भाई की बात सच कर दो
कि मम्मी तुम्हें ज्यादा मानती हैं,
आज मैं भी तो देखूं भाई सच थे या नहीं?

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