दुःख
इस संसार का सबसे जगमग सितारा है
रात का सबसे भरोसेमंद साथी
दुःख अकेला नहीं छोड़ता
सर्वाधिक सुख में भी
उसकी एक कनी आँखों में उतर ही आती है
उसका एक बगूला छाती को भर ही देता है ,
इस संसार का सबसे जगमग सितारा है
रात का सबसे भरोसेमंद साथी
दुःख अकेला नहीं छोड़ता
सर्वाधिक सुख में भी
उसकी एक कनी आँखों में उतर ही आती है
उसका एक बगूला छाती को भर ही देता है ,
दुःख
आत्मा की ज़मीनों पर बोई जाने वाली सबसे उपजाऊ फसल है
लम्हों के हलों की जुताई की पीड़ात्मक जरूरत
दुःख सर्वांगी विकास का पोषक है
दुःख प्रेम का द्योतक है
ईश्वर रच देता है यहाँ खुद को
प्रकृति झोंक देती है यहाँ खुद को
आसान नहीं दुखों का प्रतिनिधि होना ,
आत्मा की ज़मीनों पर बोई जाने वाली सबसे उपजाऊ फसल है
लम्हों के हलों की जुताई की पीड़ात्मक जरूरत
दुःख सर्वांगी विकास का पोषक है
दुःख प्रेम का द्योतक है
ईश्वर रच देता है यहाँ खुद को
प्रकृति झोंक देती है यहाँ खुद को
आसान नहीं दुखों का प्रतिनिधि होना ,
दुःख
मौसमों की सबसे बड़ी शिकायत है
उनका सबसे बड़ा उलाहना
कि इस एक वक्त भीतर का एकांत बदल जाता है
दहल जाता है
हर मौसम जाते हुए अपना एक अंश समर्पित कर देता है
आत्मा कभी ठण्ड ,कभी गर्मी तो कभी बारिश हो जाती है बेहद
अनगिनत परकोटो के भीतर
सबका अलग अलग जुड़ाव ,सार संभाल भी
कि दुःख सबसे ज्यादा सहेजे जाने वाला भाव है
कि दुःख आत्मा का घाव है
कि दुःख परछाई है किसी की
कि दुःख काई है नदी की ,
मौसमों की सबसे बड़ी शिकायत है
उनका सबसे बड़ा उलाहना
कि इस एक वक्त भीतर का एकांत बदल जाता है
दहल जाता है
हर मौसम जाते हुए अपना एक अंश समर्पित कर देता है
आत्मा कभी ठण्ड ,कभी गर्मी तो कभी बारिश हो जाती है बेहद
अनगिनत परकोटो के भीतर
सबका अलग अलग जुड़ाव ,सार संभाल भी
कि दुःख सबसे ज्यादा सहेजे जाने वाला भाव है
कि दुःख आत्मा का घाव है
कि दुःख परछाई है किसी की
कि दुःख काई है नदी की ,
दुखों का होना जरूरी है
कि नहीं अगर
तो साँसों का सिलसिला चलेगा कैसे
ईश्वर का होना बचेगा कैसे |
कि नहीं अगर
तो साँसों का सिलसिला चलेगा कैसे
ईश्वर का होना बचेगा कैसे |
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