Sunday 28 January 2018

दुःख

दुःख
इस संसार का सबसे जगमग सितारा है
रात का सबसे भरोसेमंद साथी
दुःख अकेला नहीं छोड़ता
सर्वाधिक सुख में भी 
उसकी एक कनी आँखों में उतर ही आती है
उसका एक बगूला छाती को भर ही देता है ,
दुःख
आत्मा की ज़मीनों पर बोई जाने वाली सबसे उपजाऊ फसल है
लम्हों के हलों की जुताई की पीड़ात्मक जरूरत
दुःख सर्वांगी विकास का पोषक है
दुःख प्रेम का द्योतक है
ईश्वर रच देता है यहाँ खुद को
प्रकृति झोंक देती है यहाँ खुद को
आसान नहीं दुखों का प्रतिनिधि होना ,
दुःख
मौसमों की सबसे बड़ी शिकायत है
उनका सबसे बड़ा उलाहना
कि इस एक वक्त भीतर का एकांत बदल जाता है
दहल जाता है
हर मौसम जाते हुए अपना एक अंश समर्पित कर देता है
आत्मा कभी ठण्ड ,कभी गर्मी तो कभी बारिश हो जाती है बेहद
अनगिनत परकोटो के भीतर
सबका अलग अलग जुड़ाव ,सार संभाल भी
कि दुःख सबसे ज्यादा सहेजे जाने वाला भाव है
कि दुःख आत्मा का घाव है
कि दुःख परछाई है किसी की
कि दुःख काई है नदी की ,
दुखों का होना जरूरी है
कि नहीं अगर
तो साँसों का सिलसिला चलेगा कैसे
ईश्वर का होना बचेगा कैसे |

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