१-वक्त
सहन में रखे सिल सा
खिसकता ही नहीं
सालों,
सहन में रखे सिल सा
खिसकता ही नहीं
सालों,
पिसता रहता है दर्द
मेहीं
कुछ और मेहीं
कि गटक सकें
एकबारगी
न अटके कोई पल
या पल का टुकड़ा,
मेहीं
कुछ और मेहीं
कि गटक सकें
एकबारगी
न अटके कोई पल
या पल का टुकड़ा,
वक्त
सहन में रखे सिल सा
मेरे सीने पर
खिसकता ही नहीं
सालों तक,
सहन में रखे सिल सा
मेरे सीने पर
खिसकता ही नहीं
सालों तक,
कभी यूँ
कि मानो कल की बात हो।।
2-उधार ली गईं रात
कि मानो कल की बात हो।।
2-उधार ली गईं रात
पंखे के आस पास
नज्म कोई लिखती है
सियाहियां छिङककर
रंगोली रचती है
कमरे में बूंद बूंद
इत्र सी महकती है,
रोओ तो बिस्तर में
देर तक किलकती है,
नज्म कोई लिखती है
सियाहियां छिङककर
रंगोली रचती है
कमरे में बूंद बूंद
इत्र सी महकती है,
रोओ तो बिस्तर में
देर तक किलकती है,
उधार ली गई रात
आसमान गढती है
सीने में उगकर
देह तक पसरती है
ठक ठक ठक ठक
लाठियों सी चलती है,
आसमान गढती है
सीने में उगकर
देह तक पसरती है
ठक ठक ठक ठक
लाठियों सी चलती है,
उधार ली गई रात।।
३-पहरों की उदासी को संवारा जाये
३-पहरों की उदासी को संवारा जाये
कुछ दर्द जरा और मिलाया जाये,
दिल के टूटे की आवाज नहीं होती
कांच जरा जोर से गिराया जाये,
कांच जरा जोर से गिराया जाये,
कोई कहता था कि चुप मुश्किल है
रूठकर कभी उसको दिखाया जाये,
रूठकर कभी उसको दिखाया जाये,
यूँ बजती नहीं है घंटियां मंदिर की
जब तक कि न श्रद्धा से बजाया जाये,
जब तक कि न श्रद्धा से बजाया जाये,
ये जो रूतबा है बेफजूल जो ये कहते हैं
उनको अकङकर "राज" दिखाया जाये।।
४-नहीं होकर भी होते हो तुम्हारी याद आती है
उनको अकङकर "राज" दिखाया जाये।।
४-नहीं होकर भी होते हो तुम्हारी याद आती है
धङक उठते हो जब तुम साँसे रूक सी जाती है,
बहुत सोचा कह दूँ अलविदा अब इस कहानी को
नहीं जाती मगर फिर भी ये पीङा जो सताती है,
नहीं जाती मगर फिर भी ये पीङा जो सताती है,
ये जो कमबख्त है मेरी रगों में यूँ पिघलता सा
न रूह वो छोड़ पाती है न उसमे भीग पाती है,
न रूह वो छोड़ पाती है न उसमे भीग पाती है,
बङा दुश्वार है जीना मेरा अब संग तेरे हमदम
धङकन रूक नहीं सकती न जिंदा रह ही पाती है,
धङकन रूक नहीं सकती न जिंदा रह ही पाती है,
सुलगती हूँ यहाँ दिन रात बस यादों के जंगल में
बिलखते दर्द की चादर बङी राहत दिलाती है,
बिलखते दर्द की चादर बङी राहत दिलाती है,
जो तुम भी साथ होते रात फिर होती सुहानी सी
मगर तेरे बिना साथी बहुत मुझको रुलाती है,
मगर तेरे बिना साथी बहुत मुझको रुलाती है,
ये मेरी चाह है ऐसा समझकर भूल मत करना
ये मेरा इश्क है कि" राज "अब यूँ जी न पाती है।।
ये मेरा इश्क है कि" राज "अब यूँ जी न पाती है।।
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