रात कजरौटे सी
जिसको खोलते ही नजर का टीका लगे
आँख कजरारी सजे
भर स्वप्न ढेरों,
जिसको खोलते ही नजर का टीका लगे
आँख कजरारी सजे
भर स्वप्न ढेरों,
रात सहचर सी सितारों को लिये
जैसे कि सूनी खाट पर
मोती सजे अनगिनत
विचलित प्रेम के,
जैसे कि सूनी खाट पर
मोती सजे अनगिनत
विचलित प्रेम के,
और रात ही ममता सी
जैसे चंद्रमा भर अंक में शिशु हो सुकोमल
भरे छाती तब भी दुलराया करें
अंतिम प्रहर तक,
जैसे चंद्रमा भर अंक में शिशु हो सुकोमल
भरे छाती तब भी दुलराया करें
अंतिम प्रहर तक,
रात तेरे रूप कितने शेष।
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