दुख की काली रातों को चखकर ये सीखा
कि दुख बेशक हो नमक का आंसू
कोई जहर नहीं होता
और इनमें घुलकर भी कभी कोई बहर नहीं होता ,
कि दुख बेशक हो नमक का आंसू
कोई जहर नहीं होता
और इनमें घुलकर भी कभी कोई बहर नहीं होता ,
वक्त की लंबी पट्टी का टूटा गुलदस्ता
या सीने के भीतर कोई चूल्हा बसता
इतना है बस
बस इतना ही,
या सीने के भीतर कोई चूल्हा बसता
इतना है बस
बस इतना ही,
कि सीख सकें गर दुख को मिट्टी सा कर पाना
तो उम्मीदों के बीज छिडक दें फिर कुछ उसमें नमी सिझा दें
नमक छानकर करें समंदर को कुछ थोडा और भी खारा
नमक और नमी दोनों को यूं ठौर लगा दें ,
तो उम्मीदों के बीज छिडक दें फिर कुछ उसमें नमी सिझा दें
नमक छानकर करें समंदर को कुछ थोडा और भी खारा
नमक और नमी दोनों को यूं ठौर लगा दें ,
खिले कली जब भोर की चिड़िया उडती जाये
दूर गगन में
जहाँ सफर का सूरज उसको देख देख मद्धिम मुस्काये
चलता जाये
और दुख की काली रातों को सुख का उजियारा करता जाये
धूप गुनगुनी भरता जाये ।
दूर गगन में
जहाँ सफर का सूरज उसको देख देख मद्धिम मुस्काये
चलता जाये
और दुख की काली रातों को सुख का उजियारा करता जाये
धूप गुनगुनी भरता जाये ।
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