गहन दुख में भी हम हँस लेते हैं
रोजमर्रा के काम निबटा लेते हैं
बात व्यवहार भी
सबकुछ नियमबद्ध तरीके से चलता है
समाप्त होता है,
रोजमर्रा के काम निबटा लेते हैं
बात व्यवहार भी
सबकुछ नियमबद्ध तरीके से चलता है
समाप्त होता है,
नहीं चलता है तो बस दुख
न समाप्त होता है।
न समाप्त होता है।
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