पीड़ा
कचोटती है
विदा या अ विदा
और इसी कशमकश में छूट जाता है वो सब कुछ
जो कभी नहीं छूटना चाहिए था
वो एक व्यक्ति भी
जो कभी नहीं छूटना चाहिए था,
कचोटती है
विदा या अ विदा
और इसी कशमकश में छूट जाता है वो सब कुछ
जो कभी नहीं छूटना चाहिए था
वो एक व्यक्ति भी
जो कभी नहीं छूटना चाहिए था,
पर पीड़ा
वो तो जस की तस है
अब भी।
वो तो जस की तस है
अब भी।
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