Wednesday 22 January 2020

निजामत

निजाम सख्त है
तुम बंदी
मगर चुप मत रहना
कि बोला जाना जरुरी है
जिद्द जरुरी है,
एक रहस्य सुनो
निजामी हड्डियाँ कमजोर होती हैं
और सितम पोपले
भय घनघोर है
कि तुम्हारी बर्दाश्त से वो डर जाते हैं,
तुम्हारे कदमों की जमीन उनकी गर्दन है
तुम्हारी हुंकार उनकी झुरझुरी
लहू का बंदोबस्त तो किया
पर उसके दाग नहीं मिटा पाये
सुना सच हुआ कि लहू बोलता है
इस बोले जाने को सुनना तुम और लयबद्ध साथ देना
कारवां प्रस्तुत है,
न जाने कितनी फाइलों को चुप करा दिया गया
न जाने कितने कलम सूख गये
उम्मीदों को धीरे धीरे सहजता से रौंदा गया
फिर गीत गाये गये वतन के
इस बहकावे का आवरण ही उनकी ताकत है
धोखे में मत आना,
सुना है न कि कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना
और मुझे संतोष है कि बेकार नहीं हुई ये रैना
ध्यान से सुनो तो मिट्टी से उठते शोर स्पष्ट सुनाई देंगे
इसी शोर से इतिहास लिखो
कि इस बखत का पन्ना घायल है
कराह रहा है।

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