बंद आँखों में कुछ सपने बुने
गुडहल के फूलों में जो चुपचाप मसले गये
कापियां फाडी गयीं पन्ने दर पन्ने
और मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पडा है
इसे गुनगुनाते हुये रोने
और प्रेम के कच्ची पीडा वाले वो दिन लौटा दो
सब कसमें वादे लौटा दो
लौटा दो उन शहतूती शरबतों से कसैले यौवन वाले लंबे दिन उससे भी लंबी रातें
और पिट्ठुओं को जोडकर दिलों में हलचल मचाने वाले पल भी लौटा दो ,
गुडहल के फूलों में जो चुपचाप मसले गये
कापियां फाडी गयीं पन्ने दर पन्ने
और मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पडा है
इसे गुनगुनाते हुये रोने
और प्रेम के कच्ची पीडा वाले वो दिन लौटा दो
सब कसमें वादे लौटा दो
लौटा दो उन शहतूती शरबतों से कसैले यौवन वाले लंबे दिन उससे भी लंबी रातें
और पिट्ठुओं को जोडकर दिलों में हलचल मचाने वाले पल भी लौटा दो ,
ये एक रोज किसी ने सपने में मांगा ईश्वर से
अगले ही पल उन दोनों की आंखों में आंसू थे।
अगले ही पल उन दोनों की आंखों में आंसू थे।
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