हमें तुमसे प्यार कितना ये हम नहीं जानते मगर जी नहीं सकते तुम्हारे बिना ,
जरूरी नहीं कि इसे प्रेमी या प्रेमिका की खातिर ही गुनगुनाया जाये
इसे हर एक उस व्यक्ति के लिए गाया जा सकता है जिससे प्रेम महसूस हो
या जिससे अलग होकर जीना सचमुच अज़ाब हो जाए
यहाँ जी नहीं सकना सांकेतिक है इसलिए सही है
कि यथार्थ में तो कोई नहीं मरता
बस सघन अंधियारे से संलिप्त दुःख का दायरा ही इस कदर बड़ा हो जाता है कि खुद के होने की तस्कीन हो जाए ,
इसे हर एक उस व्यक्ति के लिए गाया जा सकता है जिससे प्रेम महसूस हो
या जिससे अलग होकर जीना सचमुच अज़ाब हो जाए
यहाँ जी नहीं सकना सांकेतिक है इसलिए सही है
कि यथार्थ में तो कोई नहीं मरता
बस सघन अंधियारे से संलिप्त दुःख का दायरा ही इस कदर बड़ा हो जाता है कि खुद के होने की तस्कीन हो जाए ,
प्रेम की ये भी एक किस्म ही है कि एक वक्त मै तुम्हारे साथ नहीं रहना चाहती थी
तुम्हारा समझाना सिखाना मुझे उद्धत करता था
उद्दंड करता था
कई दफे मैंने सीमायें पार कीं पर तुमने पीछा नहीं छोड़ा
स्वीकारने में गुरेज़ नहीं कि तब मै शिद्दत से अकेली होना चाहती थी वहां जहाँ कम से कम तुम न हो
जहां तुम्हारी आवाज़ और तुम्हारी नसीहतें न हों
मै थक गयी थी तुम्हें सुनते सुनते और तुम्हारा कहा मानते ,
तुम्हारा समझाना सिखाना मुझे उद्धत करता था
उद्दंड करता था
कई दफे मैंने सीमायें पार कीं पर तुमने पीछा नहीं छोड़ा
स्वीकारने में गुरेज़ नहीं कि तब मै शिद्दत से अकेली होना चाहती थी वहां जहाँ कम से कम तुम न हो
जहां तुम्हारी आवाज़ और तुम्हारी नसीहतें न हों
मै थक गयी थी तुम्हें सुनते सुनते और तुम्हारा कहा मानते ,
कितना अजीब है न ये स्वीकारना कि आज वही मैं तकरीबन हर रोज़ तुमसे मिलने तुम्हारी एक झलक तक के लिए किस कदर पीड़ा में हूँ
किस कदर तुम्हारा एक स्पर्श तुम्हारी एक मुस्कान या तुम्हारे होने भर का रंचमात्र यकीन करने के लिए प्रतीक्षारत हूँ
तुम्हारा न होना तुम्हारे होने से ज्यादा प्रभावी निकला कि इसकी पकड़ इतनी मजबूत है जिससे मुक्ति तो संभव ही नहीं
सिवाय तबके जब तुम खुद ही इसे संभव करो या करना चाहो
पर तुम मत करना ,
किस कदर तुम्हारा एक स्पर्श तुम्हारी एक मुस्कान या तुम्हारे होने भर का रंचमात्र यकीन करने के लिए प्रतीक्षारत हूँ
तुम्हारा न होना तुम्हारे होने से ज्यादा प्रभावी निकला कि इसकी पकड़ इतनी मजबूत है जिससे मुक्ति तो संभव ही नहीं
सिवाय तबके जब तुम खुद ही इसे संभव करो या करना चाहो
पर तुम मत करना ,
तुम्हारे बाद बारिश मुझमे बादल की तरह है
समन्दर आंसू की तरह
दोनों ही इतने विराट हैं कि उन्हें सिकुड़ जाना पडा है
पर दोनों ही इतने संवेदनशील कि तनिक से ताप से ही छलक उठते हैं जब तब
यकीन मानो ये जब तब अक्सर होता रहता है
कि तुम्हारा प्रेम पीड़ा और सुख दोनों एक साथ है मेरे लिए ,
समन्दर आंसू की तरह
दोनों ही इतने विराट हैं कि उन्हें सिकुड़ जाना पडा है
पर दोनों ही इतने संवेदनशील कि तनिक से ताप से ही छलक उठते हैं जब तब
यकीन मानो ये जब तब अक्सर होता रहता है
कि तुम्हारा प्रेम पीड़ा और सुख दोनों एक साथ है मेरे लिए ,
सोचती हूँ तुम यदि कह सकतीं कुछ अभी तो मुझसे क्या कहतीं
और जब तुम नहीं हो तो फिर मै तुमसे क्या कहूं ,
और जब तुम नहीं हो तो फिर मै तुमसे क्या कहूं ,
अपने हिस्से का तुम जानो
पर मुझे कहना है कि तुम मुझे आसमान पर कभी कोई तारा नहीं लगी
कि तारे महसूस नहीं होते
कि तुम मुझे महसूस होती हो |
पर मुझे कहना है कि तुम मुझे आसमान पर कभी कोई तारा नहीं लगी
कि तारे महसूस नहीं होते
कि तुम मुझे महसूस होती हो |
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