जब ज़रा कमतर होने लगती हैं मायके से दूरी बना लेती हैं बेटियाँ ,
अपने ही भीतर कुछ छोटी हो जाती हैं बेटियां
जिद्द का हक नाराजगी का अभिमान कहीं दुबका पडा होता है
समझदारी के चोले में अकेली हो जाती हैं बेटियां
आंसुओं के ऊपर मुस्कान सज़ाने का हुनर सीख जाती हैं बेटियां ,
अपने ही भीतर कुछ छोटी हो जाती हैं बेटियां
जिद्द का हक नाराजगी का अभिमान कहीं दुबका पडा होता है
समझदारी के चोले में अकेली हो जाती हैं बेटियां
आंसुओं के ऊपर मुस्कान सज़ाने का हुनर सीख जाती हैं बेटियां ,
बेटियों वाले भाई भी कई बार नहीं पढ़ पाते बहन का मन
उस मन की लगन
उस मन की झिझक और कितनी तो कसक
बहानों को सच्चा मान लेते हैं
सच को कच्चा
नहीं परख पाते कि बहन की आँखें सूनी क्यों है
अपने ही घर में बहन सहमी क्यों है
बहनों की समझदारी पर भी वो शक नहीं करते ,
उस मन की लगन
उस मन की झिझक और कितनी तो कसक
बहानों को सच्चा मान लेते हैं
सच को कच्चा
नहीं परख पाते कि बहन की आँखें सूनी क्यों है
अपने ही घर में बहन सहमी क्यों है
बहनों की समझदारी पर भी वो शक नहीं करते ,
बहनों की समृद्धि उनका संतोष है और बहनों की लाचारी उनका डर
बहनों का निभा लेना जैसे तैसे उनका गर्व है और खुद के लिए कुछ कहा जाना परेशानी
बहनों की चुप पर उनके आशियाने टिके होते हैं
बहनों के हक पर रिश्तों की नींव डगमगा जाती है
वे समाज को बीच में खडा कर देते हैं
हर कोमलता से मुंह मोड़ लेते हैं
बहनें डर जाती हैं कि वो नहीं खोना चाहतीं माँ का आंगन
उसकी महक उसका मोह ,
बहनों का निभा लेना जैसे तैसे उनका गर्व है और खुद के लिए कुछ कहा जाना परेशानी
बहनों की चुप पर उनके आशियाने टिके होते हैं
बहनों के हक पर रिश्तों की नींव डगमगा जाती है
वे समाज को बीच में खडा कर देते हैं
हर कोमलता से मुंह मोड़ लेते हैं
बहनें डर जाती हैं कि वो नहीं खोना चाहतीं माँ का आंगन
उसकी महक उसका मोह ,
कई बार वो समझ नहीं पाते कि माँ के बक्से में बेटियाँ बस अपना बचपन तलाशती रहती हैं
पिता के कमरे में अपनी हिम्मत
हर लम्हा वो जो उनके बीच गुजारती हैं वो हीलिंग टच है उनके लिए
वो ताकत है वो जोश है
वो ममत्व और पितृत्व का वो अक्षय भण्डार है जो उन्हें बनाये रखता है जिन्दगी में उससे दो चार होने के लिए
ये समझना जरूरी है कि विरासत बेशक भाइयों के हिस्से है पर परम्पराएँ अक्सर बहनें ही निभाती हैं ,
पिता के कमरे में अपनी हिम्मत
हर लम्हा वो जो उनके बीच गुजारती हैं वो हीलिंग टच है उनके लिए
वो ताकत है वो जोश है
वो ममत्व और पितृत्व का वो अक्षय भण्डार है जो उन्हें बनाये रखता है जिन्दगी में उससे दो चार होने के लिए
ये समझना जरूरी है कि विरासत बेशक भाइयों के हिस्से है पर परम्पराएँ अक्सर बहनें ही निभाती हैं ,
बहनें भतीजियों में भाई का बदलाव देखती हैं
खुश होती हैं और एक काश वहीं उछाल देती हैं बेआवाज़
वे आगे बढ़ती हैं और कसकर गले लगा लेती हैं उन्हें
वो उनके लिए एक छोटी गुडिया बनाना नहीं भूलतीं जिन पर ढेरों सितारे टंके होते हैं पर कई बार दे नहीं पातीं
वो एक फ्रॉक और कुछ चूड़ियाँ भी देना चाहती हैं पर दे नहीं पाती हैं
ये जो नहीं दे पाती हैं न वहीँ से शुरुआत करती हैं खुद को थोडा रोक लेने की
थोडा अलग कर लेने की ,
खुश होती हैं और एक काश वहीं उछाल देती हैं बेआवाज़
वे आगे बढ़ती हैं और कसकर गले लगा लेती हैं उन्हें
वो उनके लिए एक छोटी गुडिया बनाना नहीं भूलतीं जिन पर ढेरों सितारे टंके होते हैं पर कई बार दे नहीं पातीं
वो एक फ्रॉक और कुछ चूड़ियाँ भी देना चाहती हैं पर दे नहीं पाती हैं
ये जो नहीं दे पाती हैं न वहीँ से शुरुआत करती हैं खुद को थोडा रोक लेने की
थोडा अलग कर लेने की ,
सालों साल ये अपनी पकड़ ढीली करती हैं और अपना मन भरती रहती हैं
इनके आंसू जीवाश्म हो जाते हैं
इनकी उपस्थिति औपचारिक फिर भी नेह की अविरल धारा को ये भूल नहीं पातीं
तरसती हैं बूँद बूँद
पर क्योंकि सम्मान से समझौता नहीं कर पातीं
इसीलिए जब कमतर होने लगती हैं तो मायके से दूरी बना लेती हैं बेटियाँ ,
इनके आंसू जीवाश्म हो जाते हैं
इनकी उपस्थिति औपचारिक फिर भी नेह की अविरल धारा को ये भूल नहीं पातीं
तरसती हैं बूँद बूँद
पर क्योंकि सम्मान से समझौता नहीं कर पातीं
इसीलिए जब कमतर होने लगती हैं तो मायके से दूरी बना लेती हैं बेटियाँ ,
बहनों वाले भाई को कुछ और संवेदनशील होना चाहिए |
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