Wednesday, 22 January 2020

खबरनवीसी

आँखें रिक्त कर उनमे बेचारगी भरनी होगी
अपनी भूख पर संगीन कसनी होगी
ज़हर फेफड़ों में भरकर मगरमच्छों की भांति पड़े रहें
अपनी चमड़ी को झुलस जाने दें
पर सवाल नहीं कि सवाल जुर्म है भेड़िये पीछे पड़ जायेंगे
देशद्रोही का तमगा पहनाएंगे
लट्टू सा नचाएंगे ,
सियारों की सहजबुद्धि अपनाइये
कि जोश जीवन लील सकता है ,
फिर पर्चों पर देश महान है
निजाम गर्वीला
सबकुछ संतुलित व्यवस्थित
पर याद रहे
देश के खबरनवीसों की रीढ़ टूटी हुयी है |
( सच्चे खबरनवीसों से माफ़ी सहित )

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