आँखें रिक्त कर उनमे बेचारगी भरनी होगी
अपनी भूख पर संगीन कसनी होगी
ज़हर फेफड़ों में भरकर मगरमच्छों की भांति पड़े रहें
अपनी चमड़ी को झुलस जाने दें
पर सवाल नहीं कि सवाल जुर्म है भेड़िये पीछे पड़ जायेंगे
देशद्रोही का तमगा पहनाएंगे
लट्टू सा नचाएंगे ,
अपनी भूख पर संगीन कसनी होगी
ज़हर फेफड़ों में भरकर मगरमच्छों की भांति पड़े रहें
अपनी चमड़ी को झुलस जाने दें
पर सवाल नहीं कि सवाल जुर्म है भेड़िये पीछे पड़ जायेंगे
देशद्रोही का तमगा पहनाएंगे
लट्टू सा नचाएंगे ,
सियारों की सहजबुद्धि अपनाइये
कि जोश जीवन लील सकता है ,
कि जोश जीवन लील सकता है ,
फिर पर्चों पर देश महान है
निजाम गर्वीला
सबकुछ संतुलित व्यवस्थित
पर याद रहे
देश के खबरनवीसों की रीढ़ टूटी हुयी है |
निजाम गर्वीला
सबकुछ संतुलित व्यवस्थित
पर याद रहे
देश के खबरनवीसों की रीढ़ टूटी हुयी है |
( सच्चे खबरनवीसों से माफ़ी सहित )
No comments:
Post a Comment